SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 4
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ दिल्ली टोपारा स्तम्भ प्रथम अभिलेख (धर्म पालन से इहलोक तथा परलोक की प्राप्ति) (उत्तराभिमुख) १. देवानंपिये पियदसि लाज हेवं आहा (१) सडुवीसति२. वस अभिसितेन मे इयं धंमलिपि लिखापिता (२) हिदतपालते दुसंपटिपादये अंनत अगाया धमकामताया ४. अगाय पलीखाया अगाय सुसूयाया अगेन भयेन अगन उसाहेना (३) एस चु खो मम अनुसथिया धंमा६. पेखा धमकामता चा सुवे सुवे वडिता वडीसति चेवा (४) ७. पुलिसा पि च मे उकसा चा गेवया चा मझिमा चा अनुविधीयंती संपटिपादयंति चा अलं चपलं समादपयितवे (५) हेमेमा अंत९. महामाता पि (६) एस हि विधि या इयं धमेन पालना धमेन विधाने १०. धंमेन सुखियना धंमेन गोती ति (७) द्वितीय अभिलेख (उत्तराभिमुख) (धर्म की कल्पना) १. देवानंपिये पियदसि लाज २. हेवं आहा (१) धमे साधू कियं धमे ति (२) अपासिनवे वहुकयाने ३. दया दाने सोचये (३) चखुदाने पि मे बहुविधे दिने (४) दुपद४. चतुपदेसु पखिवालिचलेसु विविधे मे अनुगहे कटे आ पान५. दाखिनाये (५) अंनानि पि च मे बहूनि कयानानि कटानि (६) एताये मे ६. अठाये इयं धमलिपि लिखापिता हेवं अनुपटिपजंतु चिलं७. थितिका च होतू तीति (७) ये च हेवं संपटिपजीसति से सुकटं कछती ति। तृतीय अभिलेख (उत्तराभिमुख) (आत्मनिरीक्षण) १. देवानंपिये पियदसि लाज हेवं अहा (१) कयानं मेव देखति इयं मे Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.229170
Book TitleAshok ke Abhilekho ki Bhasha Magadhi ya Shaurseni
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSagarmal Jain
PublisherZ_Sagar_Jain_Vidya_Bharti_Part_5_001688.pdf
Publication Year2002
Total Pages9
LanguageHindi
ClassificationArticle & Literature
File Size326 KB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy