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Vol. III 1997-2002
भरुच से प्राप्त जिन- धातुप्रतिमाओं के लेख
३. पार्श्वनाथ त्रितीर्थी प्रतिमा
विक्रम संवत् ११७८ ( ११ )
प्रातिहार्ययुक्त तीर्थङ्कर पार्श्वनाथ के सिंहासन में दो चक्र के अंकन हैं। जिनमें से प्रतिमा की दाईं ओर का चक्र खंडित है। मुख्य तीर्थङ्कर के दोनों ओर कायोत्सर्ग मुद्रा में खड़े दो तीर्थङ्कर के अंकन हैं । पीठिका के दोनों छोर से निकले कमलासन पर चामरधारी के अंकन है। नीचे सिंहासन के दोनों ओर सर्वानुभूति यक्ष एवं यक्षी अंबिका के अंकन है। पीठिका के मध्य में धर्मचक्र व नवग्रह एवं दोनों छोर पर श्रावक-श्राविका के अंकन है, जो शायद इस प्रतिमा के प्रतिष्ठापक है । परिकर के अर्धगोलाकार में ताँबे की दो परतों के बीच चाँदी की परत, नागछत्र के भीतरी चाँदी की परत, कायोत्सर्ग मुद्रा में तीर्थङ्कर की कमर पर, चामरधारी की कमर पर एवं तीर्थङ्कर की गद्दी व सिंहासन के ऊपरी छोर चाँदी - ताँबे की परत जड़ित है। प्रतिमा के पीछे निम्नाङ्कित लेख है ।
९० संवत् ११७८ पोस वदी ११ शुक्रे श्री हाईकपुरीय गच्छे श्री गुणसेनाचार्य संताने सवणी ट्ठलट्ठमे a. जगणोग सुत नवीलेन भा. जयदेवि समन्वितेन देव श्री पार्श्वनाथ प्रतिमा उभय श्रेयार्थं कारिता प्र.
( नाप ( से. मी.) ऊँचाई २३.५ लम्बाई १७.५ चौड़ाई ९.५) हाइकपुरीय गच्छ के लेख अत्यल्प मात्रा में मिले हैं।
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५.
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४. पार्श्वनाथ एकतीर्थी प्रतिमा
विक्रम संवत् १२१६ (३४)
प्रातिहार्य सहित तीर्थङ्कर पार्श्वनाथ की गद्दी के नीचे जिन के लाञ्छन के रूप में सर्प का रेखांकन है । दोनों ओर सिंहाकृति, सिंहासन के दोनों छोर पर यक्ष यक्षी, पीठिका के मध्य में धर्मचक्र, हिरन, नवग्रह ऊपरी भाग में स्तूप किंवा कलश के दोनों ओर निम्नाङ्कित लेख है ।
व श्रावक-श्राविका के अंकन किए गए है। परिकर के अशोकपत्र का अंकन किया गया है। प्रतिमा के पीछे
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सं. १२१५ वैशाख सु १२ श्री थारागच्छे हीमकस्थाने जसथ ( ध )र पुत्र जसधवलेन जसदेवी श्रेयसे कारितां
नाप (से. मी.) ऊँचाई
१८ लम्बाई
थारागच्छ के कुछ लेख पहले मिल चुके है । शायद इससे थारापद्र गच्छ अभिप्रेत हो ।
तीर्थङ्कर शान्तिनाथ एकतीर्थी प्रतिमा विक्रम संवत् १२१८ (१४)
पद्मासन में बिराजित तीर्थङ्कर के सिंहासन के मध्यमें उनका लाञ्छन हिरन का रेखांकन प्रायः नष्ट हो चुका है । दोनों ओर सिंहाकृति, यक्ष-यक्षी, तीर्थङ्कर के दोनों ओर चामरधारी शिर के दोनों ओर उड्डीयमान मालाधर एवं पीछे अलंकृत आभामण्डल का रेखांकन, त्रिछत्र के दोनों ओर नृत्यमुद्रा में गांधर्व, पीठिका के दोनों छोर पर आराधक रूप में श्रावक-श्राविका, मध्य में धर्मचक्र, हिरन व नवग्रह और परिकर के ऊपरी भाग में स्तूप के दोनों ओर अशोकपत्र के अंकन किए गए हैं। अर्धगोलाकार परिकर में, तीर्थङ्कर की आँखों में श्रीवत्स व गद्दी के मध्य भाग में चाँदी की परत जड़ित है। प्रतिमा के पीछे निम्नाङ्कित लेख है । सं. १२१८ वैशाख वदि ५ शनौ श्री भावदेवाचार्य गच्छे जसधवल पुत्रि कया सह जिया स्वात्म श्रेयार्थं श्री शान्तिजिन कारितं ।
( नाप (से. मी.) ऊँचाई २२ लम्बाई
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११ चौड़ाई ७.
- १३.५ चौड़ाई
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८.)
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