________________ 48 शिवप्रसाद Nirgrantha 36. द्रष्टव्य-संदर्भक्रमांक 24. 37. मोहनलाल मेहता और हीरालाल रसिकलाल कापडिया - जैन साहित्य का बृहद् इतिहास भाग 4, पार्श्वनाथ विद्याश्रम ग्रन्थमाला-१२, वाराणसी 1968 ई., पृष्ठ 217. 38. भोगीलाल सांडेसरा-वस्तुपाल का साहित्य मंडल और संस्कृत साहित्य को उसकी देन; पृष्ठ 89. 39. राजवली पाण्डेय-हिन्दुधर्मकोश लखनऊ 1988 ई., पृष्ठ 513-14. 40. मेहता और कापडिया, पूर्वोक्त, पृष्ट 217. 41. अम्बालाल प्रेमचन्द शाह-जैन साहित्य का बृहद् इतिहास भाग 5, पार्श्वनाथ विद्याश्रम ग्रन्थमाला 14, वाराणसी 1969 ई., पृष्ठ 197. 42. H. R. Kapadia. Padmananda Mahakavya Introduction, Pp 31-33. श्यामशंकर दीक्षित-तेरहवीं चौदहवीं शताब्दी के जैन संस्कृत महाकाव्य जयपुर 1969 ई. स., पृष्ठ 254-256. 43, प्रबन्धकोश "अमरचन्द्रकविप्रबन्ध" पृष्ठ 61-63. 44. सांडेसरा, पूर्वोक्त, पृष्ठ 89. 45. दीक्षित, पूर्वोक्त, पृष्ठ 303-304. 46. गुलाबचंद चौधरी-जैन साहित्य का बृहद् इतिहास भाग 6, पार्श्वनाथ विद्याश्रम ग्रन्थमाला, ग्रंथांक 20, वाराणसी 1973, ई. स., पृष्ठ 76-77. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org