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________________ १८. १९. २०. २१. २२. १५३४ Jain Education International १५८५ (१५९४ १) ज्येष्ठ सुदि ६ १५९५ १६१६ १६१६ माघ सुदि.. शुक्रवारभ प्रसन्नचन्द्रसूरि के माघ वदि २ बुधवार माघ सुदि ११ शिवप्रसाद माघ सुदि ११ शांतिनाथ की पट्टधर नयचन्द्रसूरि चौबीसी प्रतिमा का लेख जयशेखरसूरि जयसिंह सूरि धनचन्द्रसूरि उपाध्याय कमलकीर्ति आदि धनचन्द्रसूरि, उपाध्याय कमलकीर्ति आदि वासुपूज्य की धातु नेमिनाथ जिनालय, की पंचतीर्थी प्रतिमा सेठियों का वास, बीकानेर का लेख जैन मंदिर, भिनाय | विनयसागर, पूर्वोक्त, लेखा ७८२. Nirgrantha अजितनाथ की धातुशांतिनाथ जिनालय, वही, लेखा २५३४. की पंचतीर्थी प्रतिमा हनुमानगढ़, बीकानेर का लेख नाहटा, पूर्वोक्त, लेखान २३२६. For Private & Personal Use Only विमलवसही आबू मुनि जयन्तविजय पूर्वोक्त, लेखाइ १५५ उक्त अभिलेखीय साक्ष्यों के आधार पर इस गच्छ के कुछ मुनिजनों की गुरु परम्परा की एक तालिका इस प्रकार बनायी जा सकती है: नयचन्द्रसूरि ( प्रथम ) [वि० सं० १२८७ ] प्रसन्नचन्द्रसूरि [वि० सं० १३७९] जयसिंहसूर [वि० सं० १४१७] प्रसन्नचन्द्रसूरि (द्वितीय) नयचन्द्रसूरि (द्वितीय) [वि० सं० १४८३-१५०६ ] जयचन्द्रसूरि [वि० सं. १५३४ ] विमलवसही आबू वही, लेखान २०६. जयसिंहसूर [वि० सं० १५२१-३२] जयसिंहसूर [वि० सं० १५९५ ] अभिलेखीय साक्ष्यों द्वारा निर्मित इस तालिका में नयचन्द्रसूरि प्रसन्नचन्द्रसूरि और जयसिंहसूर ये तीन नाम कुमारपालचरित लक्ष्मीसागरसूरि [वि० सं० १५२४] www.jainelibrary.org
SR No.229088
Book TitleKrushnarshi Gaccha ka Sankshipta Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShivprasad
PublisherZ_Nirgrantha_1_022701.pdf and Nirgrantha_2_022702.pdf and Nirgrantha_3_022703.pdf
Publication Year1995
Total Pages12
LanguageHindi
ClassificationArticle & Jain Sangh
File Size417 KB
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