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Vol. I-1995
कुछ का संक्षिप्त...
आचार्य जयसिंहसूरि ने भासर्वज्ञ कृत न्यायसार पर न्यायतात्पर्यदीपिका की भी रचना की।
जयसिंहसूर के प्रशिष्य एवं प्रसन्नचन्द्रसूरि के शिष्य नयचन्द्रसूरि ने वि० मं० १४४४ / ई० स० १३८८ के आसपास हम्मीरमहाकाव्य' और रम्भामञ्जरीनाटिका" की रचना की। इन रचनाओं की प्रशस्तियों में इन्होंने अपने प्रगुरु जयसिंहसूरि का सादर स्मरण किया है।
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जयसिंहसूर 1
प्रसन्नचन्द्रसूरि
नयचन्द्रसूरि
[वि० सं० १४४४ / ई० स० १३८८ के लगभग हम्मीरमहाकाव्य और
रम्भामंजरीनाटिका के रचनाकार)
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I
यही इस गच्छ से सम्बद्ध साहित्यिक साक्ष्य हैं । जैसा कि पूर्व में कहा गया है, इस गच्छ के मुनिजनों द्वारा प्रतिष्ठापित जिनप्रतिमायें भी उपलब्ध हुई हैं। इन पर उत्कीर्ण लेखों का विवरण इस प्रकार है:
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