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होते हैं। इस अन्तरका कारण क्या है ? होना तो यह चाहिए था कि जिन्हें साधन अधिक और अधिक सरलतासे प्राप्त हों वे ही अधिक और जल्दी विकास प्राप्त करें पर देखा जाता है उलटा । तब हमें खोजना चाहिए कि विका सकी असली जड़ क्या है ? मुख्य उपाय क्या है कि जिसके न होनेसे और सब न होनेके बराबर हो जाता है ।
जवाब बिलकुल सरल है और उसे प्रत्येक विचारक व्यक्ति अपने और अपने त्रास पासवालों के जीवन में से पा सकता है । वह देखेगा कि जवाबदेही या उत्तरदायित्व ही विकासका प्रधान बीज है । हमें मानस शास्त्रकी दृष्टि से
जिससे वह अन्य सब विका
।
देखना चाहिए कि जवाबदेही में ऐसी क्या शक्ति है सके साधनों की अपेक्षा प्रधान साधन बन जाती है मनका विकास उसके सत्वअंशकी योग्य और पूर्ण जागृतिपर ही निर्भर है। जब राजस या तामस श सत्वगुणसे प्रबल हो जाता है तब मनकी योग्य विचारशक्ति या शुद्ध विचारशक्ति प्रावृत या कुण्ठित हो जाती है । मनके राजस तथा तामस अंश बलवान् होनेको व्यवहारमें प्रमाद कहते हैं। कौन नहीं जानता कि प्रमादसे वैयक्तिक और सामष्टिक सारी खराबियाँ होती हैं । जब जवाबदेही नहीं रहती तब मनकी गति कुण्ठित हो जाती है और प्रमादका तत्त्व बढ़ने लगता है जिसे योगशास्त्र में मनकी क्षिप्त और मूढ़ अवस्था कहा है । जैसे शरीरपर शक्ति से अधिक बोझ लादनेपर उसकी स्फूर्ति, उसका स्नायुबल, कार्यसाधक नहीं रहता वैसे ही रजोगुणजनितक्षिप्त अवस्था में और तमोगुणजनित मूढ़ अवस्थाका बोझ पड़नेसे मनकी स्वभाविक सत्वगुणजनित विचार शक्ति निष्क्रिय हो जाती है । इस तरह मनकी निष्क्रियताका मुख्य कारण राजस और तामस गुणका उद्रेक है । जब हम किसी जवाबदेहीको नहीं लेते या लेकर नहीं निवाहते, तब मनके सात्विक अंशकी जागृति होनेके बदले तामस और राजस अंशकी प्रबलता होने लगती है । मनका सूक्ष्म सच्चा विकास रुककर केवल स्थूल विकास रह जाता है और वह भी सत्य दिशा की ओर नहीं होता । इसीसे बेजवाबदारी मनुष्य जाति के लिए सबसे अधिक खतरेकी वस्तु है । वह मनुष्यको मनुष्यत्व के यथार्थ मार्गसे गिरा देती है । इसीसे जवाबदेहीकी विकासके प्रति असाधारण प्रधानताका भी पता चल जाता है ।
जवाबदेही अनेक प्रकारकी होती है— कभी-कभी वह मोहमेंसे आती है । किसी युवक या युवतीको लीजिए । जिस व्यक्तिपर उसका मोह होगा उसके प्रति वह अपने को जवाबदेह समझेगा, उसीके प्रति कर्तव्य पालन की चेष्टा करेगा, दूसरोंके प्रति वह उपेक्षा भी कर सकता है। कभी-कभी जवाबदेही स्नेह या
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