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जैनविद्या एवं प्राकृत : अन्तरशास्त्रीय अध्ययन
(घ) पउमचरिउ-भूमिका
डा० भायाणी (ङ) तुलनात्मक भाषाविज्ञान डा० पी० डी० गुणे, पृ० १२० आदि (च) प्राकृत भाषा और उसका इतिहास डा० हरदेव बाहरी, दिल्ली पृ० १३ ४. ज्यून्स ग्लास के फलांग लेक्चर्स, १९२८ ५. प्राकृतिज्म इन द ऋग्वेद
जी० वी० देवस्थली प्रोसीडिंग्स आफ द सेमिनार इन
प्राकृत स्टडीज, १९६९ पृ० १९९-२०५ ६. एलटिडिरचे ग्रामेटिक
बाकरनागल, १८९६-१९०५ पृ० १८ आदि ७. प्राचीन भारतीय साहित्य, भाग-१, डा० विन्तरनित्ज़, (अनु) पृ० ३५ ८. वैदिक प्रक्रिया
पाणिनि, २-४-६२ इत्यादि ९. विन्तरनित्ज़, वही पृ० ३४-३५ १०. (क) सिद्ध हेमशब्दानुशासन हेमचन्द्र ( अनुवादक-प्यारचन्द महाराज ) (ख) प्राकृत भाषा और साहित्य का
आलोचनात्मक इतिहास, डा० नेमिचन्द्र शास्त्री वाराणसी ११. डा० गुणे, वही, पृ० १०८ आदि । १२. कत्रे, वही, पृ० ६१-६२ १३. ऋग्वेद-गायत्री तपोभूमि, मथुरा १९६० १४. अथर्ववेद-विश्वेश्वरानंद शोध संस्थान, १९६० १५. यजुर्वेद-आर्य साहित्य मंडल लि०, अजमेर वि० सं० १९८८ ६६. प्राकृत मार्गोपदेशिका पृ० ११७ १७. वही पृ० ११७ १८. सामवेद-आर्य साहित्य मंडल लि०, अजमेर वि० सं० १९८८ १९. कत्रे वही पृ०६१ २०. कत्रे वही पृ० ६१-६२ २१. कत्रे वही पृ० ६१ २२. वही पृ० ६१ २३. वही पृ० ६१ २४. वही पृ० ६१ २५. वही पृ० ६२ २६. बेचरदास, वही पृ० ११५
परिसंवाद-४
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