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सत्रहवीं शताब्दी के उत्तरप्रदेश के कतिपय विशिष्ट जैन व्यापारी ११. जादूसाह
.. ये आगरा के रहने वाले धनी जैन व्यापारी तथा अंग्रेजी ईस्ट इण्डिया कम्पनी के दलाल थे । अंग्रेजों ने इनको आगरा के दरबार से सम्बन्धित व्यापारिक कार्यों को निपटाने के लिए रखा था। इन्होंने इस सन्दर्भ में आगरा में एक मकान बारह सौ मुद्राओं में खरीदा था । व्यापार के उद्देश्य से इनको सूरत, अहमदाबाद, बुरहानपुर आदि स्थानों की यात्रा करनी पड़ती थी। रुपयों के लेन-देन को लेकर अंग्रेजों का इनसे सम्बन्ध खराब हो गया था, इसलिए इनको दलाली के कार्य से मुक्त कर दिया गया था। ये महाजनी का भी कार्य करते थे। इनके द्वारा किये किसी धार्मिक कार्य का उल्लेख नहीं मिलता, लेकिन सन् १६१० ई. के आगरा संघ द्वारा भेजे गये विज्ञप्ति-पत्र में इनका नाम आया है।३९ १२. कल्याण साह
ये आगरा के रहने वाले धनी जैन व्यापारी थे तथा महाजनी का कार्य करते थे। ये अंग्रेजों तथा अन्य व्यापारियों को ब्याज पर आर्थिक सहायता करते थे। इस कार्य हेतु इन्होंने आगरा के अतिरिक्त अन्य कई नगरों में अपने प्रतिनिधि नियुक्त किये थे। पटना में भी इसी तरह का प्रतिनिधि रहता था ।४१ इन लोगों को साह या साह के नाम से जाना जाता था। सर्राफ के रूप में भी कल्याण साह प्रसिद्ध थे। सर्राफों में उस समय काफी एकता थी। सभी लोग नियोजित ढंग से कार्य करते थे, यही कारण था कि इन लोगों का व्यापार पूरे देश में अबाध गति से सम्पन्न होता था । सन् १६१० ई. के विज्ञप्तिपत्र में इनका नाम आया है । ३६. विलियम फोस्टर 'इंग्लिश फैक्ट्रीज इन इण्डिया' द्वितीय भाग, १६२२-२३ (आक्सफोर्ड,
१९०८) पृ. २१ । ३७. वही, पृ. १४७ । ३८. वही, पृ. १४७ । ३९. प्राचीन विज्ञप्तिपत्र पृ. २५ । ४०. विलियम फोस्ट र 'इंग्लिश फैक्ट्रीज इन इण्डिया' प्रथम भाग, १६१८-२१ (आक्सफोर्ड,
१९०६) पृ. २४७ । ४१. वही, पृ. २४७ । ४२. सर्राफ-विभिन्न स्थानों पर प्रचलित मुद्राओं को लेना तथा उनको आवश्यकतानुसार दूसरी
मुद्राओं में परिवर्तित करना, यही काम सर्राफ का होता था अर्थात् Morey changer. ४३. प्राचीन विज्ञप्तिपत्र, पृष्ठ २५ ।
परिसंवाद-४
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