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नियुक्ति साहित्य : एक पुनर्विन्तन
38. उज्जेणी कालखमणा सागरखमणा सुवण्णभूमीए। इंदो आउयसेसं, पुच्छाइ सादिव्वकरणं च।।
- उत्तराध्ययननियुक्ति, गाथा 119 39. अरहते वंदित्ता चउदसपुष्वी तठेव दसपुची। एक्कारसंगसुत्तत्थधारए सव्वसाहू य।।
-ओघनियुक्ति, गाथा 1 40. श्रीमती ओघनियुक्ति, संपादक- श्री मद्विजयसूरीश्वर, प्रकाशन-- जैन ग्रन्थमाला,
गोपीपुरा, सूरत, पृ. 3-4 41. जेणुद्धरिया विज्जा आगासगमा महापरिन्नाओ। वंदामि अज्जवहरं अपच्छिमो जो सुअठराणं ।।
- गाथा, 769 42. आवश्यकनियुक्ति, गाथा, 763-774
अपुर्त्तपुतुत्ताई निदिसिउं एत्थ होइ अहिगारो। चरणकरणाणुओगेण तस्स दारा इमे हुति।।
-दशवैकालिक नियुक्ति, गाथा 4 44. आहेण उ निज्जुत्ति वुच्छं चरणकरणाणुओगाओ। अप्पक्खरं महत्थं अणुग्गहत्य सुविहियाण ।।
- ओघनियुक्ति, गाथा 2 45. आवश्यकनियुक्ति, गाथा 778-783 46. उत्तराध्ययननियुक्ति, गाथा 164-178 .47. एगभविए य बदाउए य अभिमुहियनामगोए य। एते तिन्निवि देसा दव्वंमि य पोंडरीयस्स।।
___ - सूत्रकृतांगनियुक्ति, गाथा 146 48. उत्तराध्ययन टीका शान्त्याचार्य, उद्धृत बृहत्कल्पसूत्रम् भाष्य, षष्ठ विभाग प्रस्तावना,
पृ.12
49. वही, पृ.१ 50. बृहत्कल्पसूत्रम्, भाष्य षष्ठविभाग, आत्मानन्द जैन सभा, भावनगर, पृ. 11 51. साव त्यी उसमपुर सेयविया मिहिल' उल्लुगातीरं।
पुदिमंत रंजि दसपुर रहवीर पुरं च नगराई।। चोदस सोलस वासा चोद्दसवीसुत्तरा य दोणि सपा। अट्ठावीसो य दुवे पंचेव सया उ चोयाला।।
- आवश्यकनियुक्ति, गाथा 81-82 52. रहवीरपुरं नयरं दीवगमुज्जाण अज्जकण्हे अ। सिवभूइस्सुवर्किमि पुच्छा थोराण कहणा य।।
- उत्तराध्ययननियुक्ति, गाथा 178