SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 1
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ स्वप्नशास्त्र : एक मीमांसा स्वप्नशास्त्र : एक मीमांसा * मरुधर केसरी प्रवर्तक मुनि श्री मिश्रीमलजी महाराज वि० सं० १९८० जोधपुर का चातुर्मास ! लगभग तीन महीने बीत गये थे। एक दिन मैं अचानक आमातिसार की व्याधि से ग्रस्त हो गया। वैद्य और हकीमों के अनेक उपचार करवाये, पर कोई लाभ नहीं हुआ । ज्यों-ज्यों दवा की, मर्ज बढ़ता ही गया । शरीर काफी दुर्बल व क्षीण हो गया, उपचारों से कुछ भी लाभ की आशा नहीं रही, कभी-कभी जीवन की आशा भी धुंधलाने लगी थी । - अस्वस्थता व दुर्बलता के कारण मैं प्रायः लेटा ही रहता था। एक रात लेटा लेटा अपने स्वास्थ्य के बारे में सोच रहा था। नींद की झपकी आ गई। नींद में ही एक स्वप्न आया कोई तेजस्वी व्यक्ति पुकार कर कह रहा था'तुम अमुक औषध का सेवन क्यों नहीं करते ? अमुक औषध सेवन करो स्वस्थ हो जाओगे ?" ४८३ ✦✦✦✦✦✦✦✦✦✦· नींद उचट गई । प्रातःकाल परीक्षण के रूप में स्वप्न सूचित औषध लेकर आया, उसका प्रयोग किया। कुछ लाभ मालूम होने लगा । और आश्चर्य ! कुछ ही दिन के प्रयोग से इतनी लम्बी बीमारी से मुक्ति मिल गई । बहुत से व्यक्तियों को ऐसे स्वप्न आते हैं, जिनमें भविष्य का संकेत होता है, किसी उलझन का समाधान होता है । सुना है, कोई व्यक्ति गणित के किसी गूढ़ प्रश्न को हल करने में परेशान हो रहा था, काफी परिश्रम के बाद भी प्रश्न हल नहीं हुआ। पुस्तक सामने रखे रखे ही उसे नींद आ गई। नींद में उसे स्वप्न आया । उस प्रश्न का हल कोई बता रहा था। नींद में ही उठकर उसने कापी में हल लिख दिया और फिर सो गया। सुबह उठा तो कापी में गूढ़ प्रश्न का हल लिखा देखकर स्वयं ही चकित रह गया। वह हल बिल्कुल सही था । ऐसा होता है। भविष्य में होने वाली दुर्घटना की सूचना स्वप्न में मिल जाती है। अमरीका के राष्ट्रपति अब्राहम लिंकन को एक दिन स्वप्न आया कि किसी ने उनकी हत्या कर दी है। और कुछ दिन बाद ही उनकी हत्या की खबर संसार ने सुन ली । Jain Education International अपनी या किसी स्वजनकी बीमारी दुर्घटना या लाभ-हानि आदि के संकेत अनेक बार अनेक लोगों को स्वप्न मे मिलते हैं और वे ठीक उसी रूप में सत्य सिद्ध होते हैं, तब हम चकित भी रह जाते हैं और बड़े गम्भीर होकर स्वप्न के विषय में सोचने लगते हैं। जिज्ञासाओं की हलचल से मन-मस्तिष्क चंचल हो उठते हैं । आखिर स्वप्न है क्या ? स्वप्न क्यों आते हैं ? सभी स्वप्न सत्य क्यों नहीं होते ? और सभी को अपनी विकट मानसिक व्यथाओं के समय स्वप्न में कोई न कोई मार्ग-दर्शन क्यों नहीं मिलता ? हमारा हजारों वर्ष का विकसित स्वप्नशास्त्र इस विषय में क्या कहता है ? इन्हीं प्रश्नों पर यहाँ कुछ विचार करना है । दिगम्बर परम्परा में भरत चक्रवर्ती के १६ स्वप्न बहुत प्रसिद्ध हैं, जिनमें वातावरण की सूचना थी। भरतजी ने प्रभु आदिनाथ से उनका अर्थ पूछा तो प्रभु ने शास्त्रों एवं ग्रन्थों में पढ़ते हैं- तीर्थंकर के जन्म से पूर्व उनकी माता ने १४ दिव्य स्वप्न देखे । इसी प्रकार चक्रवर्ती, बलदेव वासुदेव आदि की माता ने भी कुछ दिव्य स्वप्न देखे, जागृत हुईं। स्वप्न- पाठकों से फल पूछा तो उन्होंने उनके अर्थ बताये कि महान् तेजस्वी पुत्र होगा । For Private & Personal Use Only भविष्य में होने वाले धार्मिक धर्म तीर्थ के लिए वे अमंगल ० O www.jainelibrary.org
SR No.212248
Book TitleSwapnashastra Ek Mimansa
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMishrimalmuni
PublisherZ_Pushkarmuni_Abhinandan_Granth_012012.pdf
Publication Year
Total Pages17
LanguageHindi
ClassificationArticle & Science
File Size2 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy