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________________ समाधिशतक-एक दिव्य दृष्टि पद्मश्री पं. सुमतिबाई शहा, संचालिका, श्राविका विद्यापीट, सोलापूर नमः श्रीपूज्यपादाय लक्षणं यदुपक्रमम् । यदेवात्र तदन्यत्र यन्नात्रास्ति न तत्त्ववित् ॥ जैनेन्द्रप्रक्रियायां गुणनन्दी। पार्श्वभूमि जैन-साहित्य में दर्शन-साहित्य का महत्वपूर्ण स्थान है। वहां अध्यात्म को विशद करनेवाले ग्रन्थों की कोई कमी नहीं है । आत्म दर्शियों ने परम-तत्व के चिन्तन द्वारा बहुत ही सरस एवं सुंदर विचारों का प्रतिपादन किया है। इस अध्यात्म-विषयक ग्रन्थों में जब मैं सोचती हूं तब मेरा ध्यान आ० पूज्यपाद द्वारा रचित समाधि तन्त्र की ओर विशेष रूप से आकृष्ट होता है। मुझे इस बात का गौरव प्रतीत होता है कि समाधि-शतक इस ग्रन्थ ने जनसाधारण के लिए अपनी सरल एवं हृदयग्राहिणी शैली द्वारा आत्मरस की जो सरिता प्रवाहित की है, गत कई वर्षों के इस महान ग्रन्थ के रसास्वादन के उपरान्त मैं इस निष्कर्ष पर आयी हूं कि इस आकार से लघु एवं विचारों से महान यह ग्रन्थ अध्यात्म-प्रेमियों को एक नवीन एवं दिव्य दृष्टि प्रदान करने में बड़ा उपयोगी है। इस लेख के माध्यम से वह तथ्य मैं प्रस्तुत करना चाहती हूं। अध्यात्म तो जीवन का नवनीत है, जिसे प्राप्त करना जीवन का महत्तम साध्य है। आचार्य पूज्यपाद का कृतित्व आचार्य पूज्यपाद एक प्रभावशाली, विद्वान, युगप्रधान योगीन्द्र थे। उनका जीवन एक साहित्यकार का जीवन था। जहां उन्होंने सर्वार्थसिद्धि, जैनेन्द्र-व्याकरण जैसे महान् प्रमाणभूत ग्रन्थों का निर्माण किया है, वहां उन्होंने इष्टोपदेश, समाधितंत्र जैसे श्रेष्ठ अध्यात्म ग्रन्थों का निर्माण भी किया है। ऐसा माना जाता है कि समाधि-शतक की रचना ग्रन्थकार के जीवन की अन्तिम कृति है। साहित्य के सर्व क्षेत्रों में प्रविष्ट होने के अनन्तर ग्रन्थकार का धवल यश यदि किसी अन्य ने बिखेर दिया हो तो वह अन्य समाधि-शतक ही हो सकता है । भाषा एवं विचार की मधुरिमा से स्वाध्याय में अनुरक्त के मन में हमेशा ही अध्यात्म की शहनाई गुञ्जने लगती है। वह आत्मदर्शी रसिक प्रफुल्लित कमलिनी से निःसृत पराग के प्रवाह भ्रमर के समान आत्मानंद में विभोर हो जाता है, तल्लीन हो जाता है । ३४४ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.212153
Book TitleSamadhi Shataka
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSumatibai Shah
PublisherZ_Acharya_Shantisagar_Janma_Shatabdi_Mahotsav_Smruti_Granth_012022.pdf
Publication Year
Total Pages4
LanguageHindi
ClassificationArticle & Stotra Stavan
File Size437 KB
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