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आई० आई०एम० १९ वें एवं दिल्ली विश्वविद्यालय ५७ वें स्थान पर है। इस प्रकार शिक्षा एवं अनुसंधान के माध्यम से विकास होता है। अमेरिका में हमारे ५० हजार, ब्रिटेन में ४० हजार, मध्य एशिया में २० हजार डॉक्टर एवं दो लाख इंजिनियर तथा ५ लाख तकनीकी लोग कार्यरत हैं और विदेशी मुद्रा का भण्डार भर रहे हैं।
शिक्षा द्वारा विकास के क्षेत्र में यूरोप में वृद्धों की संख्या बढ़ रही है। उन्हें विकास के लिए शिक्षित तकनीकी लोग चाहिये, हाल ही में बेलजियम, पोलैण्ड, स्वीडन एवं फ्रांस ने इंजिनियरों, डॉक्टरों की मांग की है। भारत में हर साल २ लाख इंजिनियर एवं ३० हजार डॉक्टर बन रहे हैं। इनका कार्यक्षेत्र विश्वव्यापी होगा। यूरोपीय संघ अपने राष्ट्रों के लोगों को पसंद कर रहे हैं पर उनको मिल नहीं रहे हैं। अत: भारत पर उनकी नजर सदा रहेगी। बहुराष्ट्रीय कंपनियां (MNC) भारतीय बाजार में आ रही हैं। भारत में संग वालमार्ट २००८ में प्रवेश कर रहा है, जिन्हें ५००० युवाओं की जरुरत होगी। एम० एन० सी०, एम०बी०ए० की जगह ग्रेजुएट को लेगी, जैसे पेप्सी कोलाइंडिया ने प्रारम्भ किया है।
विश्व में भारत घरेलू उत्पाद में (GDP) चौथे स्थान पर है, ४८० खरब रूपये का घरेलू उत्पाद है। यह बढ़ेगा क्योंकि उद्योगों में उत्पाद १०- १२% वृद्धि दर कर रहे हैं। इसमें शिक्षा का योग है, अमेरिका विश्व में सकल घरेलू उत्पाद में प्रथम ( १२४६ खरब डालर ), चीन द्वितीय (४६ खरब डालर ) जापान तृतीय (४५ खरब डालर) और भारत चौथा (१० खरब डालर है) । शिक्षा में भारत ६५% साक्षरता में है। आशा की जाती है कि २०५० में भारत सकल घरेलू उत्पाद में अमेरिका से ऊपर निकल जायेगा । भारत की अर्थव्यवस्था को "फ्लाईंग इकोनॉमी" नाम दिया जा रहा है। इसका कारण शिक्षा, लॉवर कॉस्ट - हायर ग्रोथ यानि कम खर्च में अधिक उत्पादन है और उत्पाद की गुणवत्ता उत्तम होने के कारण विश्व बाजार प्राप्त होगा। चीन हमारी तरह शिक्षा द्वारा ही आगे बढ़ रहा है। अंग्रेजी शिक्षा हमारा सबल पक्ष है, जो १८३५ में चालू हुई थी। सर्वे २०७ के अनुसार जी - ७ राष्ट्रों, अमेरिका, ब्रिटेन, जर्मनी, कनाड़ा, फ्रांस, इटली, जापान से भारत और चीन बौद्धिक क्षमताओं के कारण आगे बढ़ जायेंगे (यंग यूरोपीयन एट्रेक्विनेस सर्वे २००७) ।
अमेरिका के संग आणविक समझौते के सफल होने पर हमें न्यूकिलियर पावर प्लांट लगाने में न्यूकिलियर एनर्जी
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बिजली जो अभी ४% पैदा कर रहे हैं, यह २०५० तक ५०% होगी, जिसकी विकास में आधारभूत आवश्यकता है।
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हमारे समाज में भारतीय समाज में मध्यम वर्ग वह है जो २ - १० लाख वार्षिक अर्जन करता है। यही वर्ग शिक्षा पर जोर देता है। इनकी संख्या अब ५ करोड़ है और २०२५ में इनकी संख्या ५९ करोड़ हो जायेगी तथा २९ करोड भारतीय गरीबी की रेखा से ऊपर उठ जायेंगे। ऐसा मैकेन्सी ग्लोबल इंस्टीट्यूट का सर्वे घोषणा करता है। भारतीय जनतंत्र में इस शिक्षित मध्यम वर्ग की मुख्य भागीदारी एवं जिम्मेवारी होगी । भारत में शिक्षा, यातायात, स्वास्थ्य एवं मोबाईल, निवेश कर मुख्य केन्द्र विकास में योगदान देंगे शिक्षा द्वारा ही सूचना के अधिकार (RTI) का उपयोग होगा, जिससे भ्रष्टाचार प्रायः समाप्त हो जायेगा और "Electoral will vote the rogues out" चुनाव में भ्रष्ट बाहर हो जायेंगे, ऐसा अगले १८ वर्षों में शिक्षा द्वारा संभव होगा। हमारी वृद्धि दर ७.३% से ऊपर बनी रहेगी।
शिक्षा के अलावा नारी की भागीदारी भारतीय समाज में हर क्षेत्र में बढ़ने लगी है। यह विकास की प्रक्रिया को गतिमान बनायेगी।
विश्व व्यापार संघ की पेचिदिगियों को समझने के लिए तीक्ष्ण मस्तिष्क शिक्षा द्वारा ही संभव है ताकि आर्थिक विकास में अमीर राष्ट्र हमें गुमराह न कर दे। इस पर हमारी शिक्षण संस्थाओं में खुली बहस होनी चाहिये सही जानकारी होनी चाहिये । विकासशील राष्ट्र जीवन यापन के स्तर पर है और अपना एक तिहाई जनता का पेट भरने, तन ढकने की दिशा में प्रयासरत है।
चिकित्सा शिक्षा द्वारा आर्थिक विकास की संभावना यथार्थ में परिवर्तित हो रही है। भारत में सरकारी एवं निजि स्वास्थ्य सेवाओं में लगभग साढ़े छः लाख डॉक्टर संलग्न है। माना कि एक हजार छः सौ छ्यासठ (१६६६) व्यक्तियों के पीछे भारत में एक डॉक्टर है, परन्तु अमेरिका यूरोप में ज्यादा डॉक्टर होते हुए भी भारत से इलाज दस गुणा महंगा है। भारत में हार्ट - हृदय का इलाज तुरन्त हो सकता है, अमेरिका में ३८५ व्यक्तियों पर एक डॉक्टर है, एम्स के ४०% डॉक्टर अमेरिका जा रहे हैं, वहां बस रहे हैं । इस प्रकार चिकित्सा, पर्यटन, ईलाज कराने से भारत को २.५% अरब डालर यानि १०० अरब रुपयों की आय होने की २०१५ तक संभावना है, जो
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