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४१४. डॉ० ए० शर्मा : दि मेघदूत एज ए लाइरिक, १९६७, अप्रकाशित । ४१५. डा० जनार्दन शर्मा : शतपथ ब्राह्मणके अध्ययनके कुछ पहलू, १९६७, अप्रकाशित । १४. डॉ० जयदेव : रिलीजियस कण्डीशन आफ एन्सीएन्ट बिहार, १९६७, अप्रकाशित। १७. डॉ० सूर्यदेव पाण्डेय : जयसेनके हरिवंशपुराणका आलोचनात्मक अध्ययन, १९६७, अप्रकाशित । १८. डॉ० छगनलाल शास्त्री : आचार्य भिक्षु और जैन दर्शनको उनकी देन, १९६८, अप्रकाशित । ४ १९. डॉ० सुधीरचन्द्र मजमदार : फोनेटिक चैन्जेज इन इनडोआर्यन लैंगवेज, १९६८, प्रा० शो० सं०,
__ वैशाली द्वारा प्रकाशित । २०. डॉ० मुनेश्वर गिरि : प्रामाण्यवाद, १९७०, अप्रकाशित । २१. डॉ० रामप्रकाश पोद्दार : एन एसथेटिक एनलिसिस आफ कर्पूरमञ्जरी, १९७०, प्रकाशित ।
२२. डा० राय अश्विनीकुमार : जैन योग, १९७०, अप्रकाशित । ४ २३. डॉ० श्यामनन्दन चौधरी : महाभारतके शान्तिपर्वमें राजनीति, १९७०, अप्रकाशित । ४ २४. डॉ० राम सिंह : ओरिजिन एण्ड एवोलूशन ऑफ इण्डियन एथिक्स, ११७१, अप्रकाशित । ४ २५. डॉ० गौरीशंकर प्रसाद : दि गान्धीयन नन-वाइलेन्ट आइडीयलिज्म, १९७२, अप्रकाशित । २६. डॉ. जगदीश नारायण शर्मा : नियुक्ति, चूणि और टीकाके आधार पर आचारांगका परिशीलना
त्मक अध्ययन, १९७३, अप्रकाशित । २७. डॉ० गुनकर झा : ए क्रिटिकल स्टडी आफ मीमांसा फिलासफी विथ स्पेशल रेफेरेन्स टु प्रभाकर
एण्ड भट्ट स्कूल, १९७४, अप्रकाशित । २८. डॉ. योगेन्द्रप्रसाद सिन्हा : वज्जो भाषाके कतिपय शब्दोंका आलोचनात्मक अध्ययन, १९७५,
अप्रकाशित । २९. डॉ० सुदर्शन मिश्र : महाकवि पुष्पदन्त और उनका पुराण, १९७९, अप्रकाशित ।
इस समय संस्थानमें लगभग बाइस शोधार्थी विभिन्न विषयोंपर अपना शोध प्रबन्ध तैयार कर रहे हैं : १. श्री बुधमल श्यामसुख-इलीमेन्ट्स आफ पैरासाइकोलोजी इन इण्डियन थाट । र २. ,, अशीमकुमार भट्टाचार्य-वार इन एन्सीएण्ट इण्डिया । ३. , श्रीकान्त त्यागी-सूत्रकृतांगका समीक्षात्मक अध्ययन । ४. ,, नागेन्द्र किशोर शाही-गौडवहोका आलोचनात्मक अध्ययन ।
,, लक्ष्मीश्वरप्रसाद सिंह-भारतीय दर्शनमें कामतत्व एवं जैन परम्परा । ६. ,, इन्द्रदेव पाठक-जैनदर्शनका नयवाद एक मीमांसा, परीक्षणार्थ प्रस्तुत । ७. ,, थीच थीन क्वा-मैसेज आव पोयट्री विथ स्पेशल रेफेरेन्स टू सन्देसरासक, प्रस्तुत ।
,, पी० सी० सिन्हा वाराही संहितामें वस्तुविद्या । ९. ,, राजकुमार पाठक-वसुदेवहिण्डी : एक आलोचनात्मक अध्ययन । १०. ,, शशिकुमार सिह-श्रमणधर्म और सामाजिक आचार । ११. ,, श्रीकृष्णदेव तिवारी : सददकका उदभव और विकास । १२ ,, डी० पी० पांड्या-सांख्य-योग एण्ड जैनीजम् : ए कम्पेरेटिव स्टडी। १३.,, अभयकुमार जैन-कार्तिकेयानुप्रेक्षाका तुलानात्मक अध्ययन ।
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