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________________ ६२ : श्री महावीर जैन विद्यालय सुवर्णमहोत्सव ग्रन्थ फतैविजय मन रंग, दोलत ठामें गावियो हो लाल। पुण्यविजय परमाण, खुसालसागर भावियो हो लाल ॥ ८॥ इत्यादिक मुनिराय, सेवै मन सुधसुं सदा हो लाल । वंदना वारोवार, जाणेजो मुनिजन मुदा हो लार ॥ ९ ॥ इहां छै मुनिवर साथ, आज्ञा तुमची आदरै हो लाल। सेवक नित प्रति ध्यान, ध्यावै अहनिशि पादरै हो लाल ॥१०॥ पंडित मांहे प्रधान, गुलालविजय वंदणा करै हो लाल। संतोषविजय मन धीर, दीपै सुख विजयै धरै हो लाल ॥ राजविजय मनरंग, नगविजय सुभ भाण सुं हो लाल । माणकविजय मन धार, दलपति वांदै जाणसुं हो लाल । अजीतविजय सुखकार, ऋषभ राजेन्द्र दोय भाव सुं हो लाल । सिद्धविजय मन चंग, रूपक दान नवल सुं हो लाल ॥ १३ ॥ रतनश्री साधवी मान, ज्ञाने दौलत सुं भरी हो लाल।। श्राविका सरब सुचंग, चाहै निज मन शुभकरी हो लाल ॥ १४ ॥ लिखु लि कागल केह, सात समुदनी मिस करी हो लाल। कागल जो धरती होय, पार न आवै गुण खरी हो लाल ॥१५॥ वंदणा वार हजार, मानेज्यो गच्छपति मुदा हो लाल। । इहांना संघनो जुहार, तिहां कहज्यो संघने सदा हो लाल ॥ १६ ॥ अधिको ओछो लिखियो तेह, माफ करो महाराजजी हो लाल। मुंनि रस सिद्धिं ने चंद्र, कार्तिक सुदि काम राजजी हो लाल ॥ १७ ॥ -इत्यादि वर्णनं कार्यमगमत्-॥१॥ इसके बाद राजस्थानी लिपिमें लेख है। उसके बाद लिखी हुई भासको प्रथम लिखा जाता है : ॥भास स्वाध्याय ॥ देशी-नींद नयणा रै विच घुल रही एहनी साहिबा सद्गुरू चरण सुहामणा, वंदो भविजन भाव हो । सद्गुरुराजा ॥ साहिबा प्रेम अमृत रस बरसता, सिवपंथ सीझो डाव हो । स०॥१॥ गच्छपति विजयजिनेन्द्रसूरीश्वरू॥ साहिबा मुनि गहगाट सोभता, चंदज कुलना रूप हो । स०। साहिबा बुधभंडार खुल्या रहै, रीझवै पृथवीना भृप हो। स०। ग०॥२॥ साहिबा ठाम ठाम मंगल घणा, मोतीयां थाल भराय हो । स०। साहिबा पूजजी वधावै घरोघरै, दिल दरियाव सराय हो। स ग० ॥३॥ साहिबा वंस वधारण अभिनवो, वीरजिनेसर पट्ट हो । स०। छावा धर्म सूरीसना, प्रतपो वखत प्रगट्ट हो । स०।ग० ॥४॥ कोड दिवाली चिर जीवज्यो, प्रतपो कोड वरीस हो। स०। जैन धर्म मंडण धुरा, गुण गण रत्न सूरीश हो। स०। ग० ॥५॥ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.211741
Book TitleMedta se Vijay Jinendrasuri ko Virampur Preshit Sachitra Vignapati Patra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhanvarlal Nahta
PublisherZ_Mahavir_Jain_Vidyalay_Suvarna_Mahotsav_Granth_Part_1_012002.pdf and Mahavir_Jain_Vidyalay_Suvarna_
Publication Year
Total Pages17
LanguageHindi
ClassificationArticle & Ascetics
File Size3 MB
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