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________________ श्रढ़ी का अजात हर जिससे अनुक्रम राशि S, S, S, ......S...., को विभाजित किया जाता है, वरण सिद्धांत के द्वारा ज्ञात हो सकता है। इस उदाहरण में x24. चौथे अध्याय के श्लोक संख्या 54-55 में एक बहुत रोचक प्रश्न दिया गया है । "जंगल में काम कर रहे हाथियों की संख्या है : कुल हाथियों की संख्या के 2 भाग के वर्गमूल के 9 गुणे और शेष हाथियों की संख्या के 1 के वर्गमूल के 6 गुणे का योग । अब यदि इस संख्या में 24 और जोड़ा जाये तो हाथियों की कुल संख्या ज्ञात हो सकती है। वह संख्या क्या है ? यदि मान लें कि हाथियों की कुल संख्या : हो तो चौथे घात का निम्नलिखित समीकरण प्राप्त होता है : 2+6 V3 (x--913) + 24=x. महावीराचार्य के अनुसार इसका हल निकालने के लिए दो द्विघात समीकरणों का आश्रय लेना पड़ता है। यदि _y = x-9 V3 x, हो तो द्विघात समीकरण होगा y-6/3y =24. 1 = 60; y. =3 के मूल्य को पहले समीकरण में रखने पर निम्नलिखित समीकरण प्राप्त होता है : x = 150; X = 24. द्विघात समीकरण, 0 के पूर्ण मूल नहीं हैं । केवल x = 150 ही उपयुक्त है। चौथे अध्याय के 56 वें श्लोक में दिया गया प्रश्न ४ घात के समीकरण से हल होता है। "सुअरों की एक निश्चित संख्याझुंड के - भाग के वर्गमूल की चौगुनी-जंगल में है। झुंड का एक हिस्सा-शेष संख्या के -- भाग के वर्गमूल के दुगुने का 4 गुना-पहाड़ी पर है। दूसरे हिस्से के सुअर नदी की तरफ जा रहे हैं जिनकी संख्या है शेष के आधे के वर्गमूल का 9 गुणा। इसके अलावा झुंड में 56 सुअर और हैं। कुल कितने सुअर हैं ?" सुअरों की कुल संख्या को . मानते हुए समीकरण बनेगा : +Vs+8 Vi(r-V) +9 VH[:-4 V -8 VI(x-4 Vi)] + 56=x. महावीराचार्य के अनुसार, इस समीकरण का क्रमिक हल तीन द्विघात समीकरणों से निकलता है। यदि yox-4V, SY आचार्यरत्न श्री देवभूवन जी महाराज अभिनन्दन अन्य Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.211694
Book TitleMahaviracharya krut Ganitasar Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAlexzander Volodraski
PublisherZ_Deshbhushanji_Maharaj_Abhinandan_Granth_012045.pdf
Publication Year1987
Total Pages28
LanguageHindi
ClassificationArticle & Mathematics
File Size2 MB
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