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श्री पुष्करमुनि अभिनन्दन ग्रन्थ : षष्ठम खण्ड
धर्मभूषण
पासकीति (सुदर्शनचरित्र, सन् १६२७)
विशालकीर्ति
अजितकीति (अगली तालिका देखें)
भानुकीर्ति (कुछ पद)
धर्मचन्द्र
दयासागर (सम्यक्त्वकौमुदी,)
(धर्मामृतपुराण,) (भविष्यदत्तबन्धुदत्त पुराण)
देवेन्द्रकीर्ति
गंगादास (पार्श्वनाथ भवान्तर आदि)
(सन् १६६०)
धर्मचन्द्र
जिनसागर (जीवन्धरपुराण आदि)
(सन् १७३४)
देवेन्द्रकीर्ति
पपनन्दि
महतिसागर (स्वर्गवास सन् १८३२)
(संबोधसहस्रपदी आदि)
देवेन्द्रकीति
दिलसुख
(स्वात्मविचार) उपयुक्त लेखकों में पासलीति का मूल नाम वीरदास था। इनके कुछ गीत भी मिले हैं। ये और इनके शिष्य औरंगाबाद में गुरु द्वारा नियुक्त हुए थे। गंगादास की कुछ संस्कृत और हिन्दी रचनाएं भी मिलती हैं । जिनसागर की नौ कथाएँ, सात स्तोत्र तथा सात आरतियां भी मिली हैं। इन्होंने भी संस्कृत और हिन्दी में कुछ रचनाएँ लिखी हैं। महतिसागर की चार कथाएं मिली हैं। गंगादास, जिनसागर और महतिसागर ने विविध छन्दों में खिखा है । शेष लेखकों ने ओवी छन्द का प्रयोग किया है।
उपर्युक्त तालिका में उल्लिखित धर्मभूषण-शिष्य अजितकीति की परम्परा लातूर (उस्मानाबाद जिला) क्षेत्र में काफी विस्तृत हुई। इसकी तालिका इस प्रकार है
अजितकीति
विशालकीति (रुक्मिणीव्रत कथा)
पुण्यसागर (रविव्रत कथा)
चिमना पंडित
(अनन्तव्रत कथा आदि) (स्थान-पठन, औरंगाबाद जिला)
पद्मकीर्ति
महीचन्द्र (आदिनाथपुराण) (सम्यक्त्वकौमुदी आदि)
(सन् १६९६)
साबाजी (सुगन्धदशमी कथा) (सन् १६६५)
विद्याभूषण
हेमकीति
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