SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 12
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ प्रो० डॉ. एल डी. जोशी कोण भाइ नं रौरिण राजन बोलें सामि मारे सडिलो सिरावो कोण भाइ घेरे वरघोडि x यह लग्न गीत है । इसमें भाषा का स्वरूप और गुजराती की छाँट दृष्टव्य है। बालक लाडि तो लक्यँ कागद मोकले अोजि अलदि ना भेज्या वेला प्रावोरे ! -मालेंण गज़रो सिवदो....... (ii) प्रोजि प्रो केम प्रावु बालक लाडलि राज़ ने विरेज़िये मारग रोक्योंरे ! -मालेग्ण गज़रो सिवदो ........ इ तो अरज करों रे अंगना विरोज़ि प्रोजि गड़ि दोय मारग सोड़ो रे ! -मालेग गज़रो सिवदो ...... X यह गीत भी ऊपर की कोटि का ही है। (iii) समदरिया ने अंणे पेले पारे भनोज़ि तम्बु ताणिया"." लाडि तारा बापा ने जुगाड़ नावे नकाब सें........ नति मारा बापाज़ि घर पोसे प्रापे पदारजु......." समदरिया ने अणे पेले पारे भनोजि तम्बु ताणिया लाडि तारा विरा ने ज़गाड़ नावे नकाव में ........ नति मारा विराजि घर पोसे प्रापे पदारजू... (iv) प्रावि रे साबला नि जान रे जरमरिया जाला धेयु रे वेवाइ तारु घोर रे , घोर धेरि ने नासेंग हाइ रे प्रावि ने कोंण भाइ ने पोगे पड़यो रे सोड़ो रे बावसि मार बाँण रे रुपिया आलु भारोभार रे मारे नति रुपियँ नँ काम रे मारे से बरिये न काम रे Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.211453
Book TitleBagad ke lok Sahitya ki Zankhi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorL D Joshi
PublisherZ_Jinvijay_Muni_Abhinandan_Granth_012033.pdf
Publication Year1971
Total Pages22
LanguageHindi
ClassificationArticle & Literature
File Size2 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy