________________ कल्पना की कि प्रथम व्यापारी पर x, दूसरे व्यापारी पर ", और तीसरे व्यापारी के हाथ में 2 हैं। .:. x+4+5 = 2+2-4-5) ___y+4+6 = 3(z+x-4-6) +5+6 5(x+y-5-6) अथवा 2(x+y+z) =27 3(x+y+z) 5(x+y+z) (x+y-+z) (x+y--2) (x+y+2) -2 =11 तीनों को जोड़ने पर (x+y+z)-(x+y+2)=30 + (x+y+2)=30 अथवा (3++b) 15 (x+y+:) ==30 ___x-+y+x उपरोक्त तीनों समीकरणों में x+y+2 का मान रखने पर =30 x 12 =24 2 = 9 अतः पहले व्यापारी पर 7, दूसरे व्यापारी पर 8 और तीसरे व्यापारी के पास 9 हैं। ब्याज सम्बन्धी कई प्रश्न भी, जिनमें अनेक अज्ञात राशि के युगपत् समीकरण बनते हैं, महावीराचार्य द्वारा वणित किये गये हैं। यथा-विभिन्न ब्याज की राशियाँ निकालने के लिए उदाहरण इस प्रकार हैं "एक प्रश्न में दिये गये मूलधन 40, 30, 20 और 50 हैं, और मास क्रमशः 5, 4, 3 और 6 हैं / ब्याज की राशियों का योग 34 है। प्रत्येक ब्याज-राशि निकालो।" इसका हल इस प्रकार दिया गया है। ICH यदि i+is+is+......... =[ हो तो 1 = - C +C +Cat+......... जहाँ पर 1.2ig.........विभिन्न मूलधनों पर ब्याज, intents.........विभिन्न अवधियाँ तथा C, C, C,...विभिन्न मूलधन हैं। विभिन्न मूलधन निकालने के लिए उदाहरण निम्न प्रकार दिया गया है "दिये गये विभिन्न व्याज 10, 6, 3 और 15 हैं तथा संवादी अवधियाँ क्रमश: 5, 4, 3 और 6 मास हैं। विभिन्न मलधनों की रकमों का योग 140 है। ये मूलधन की रकमें कौन-कौन सी हैं ?"3 1. गणितसारसंग्रह, अध्याय 6, गाथा 38 2. वही, अध्याय 6, गाया 37 3. वही, प्रध्याय 6, गाथा 37 जैन प्राच्य विद्याएं Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org