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________________ पुरुषार्थ सिद्धयुपाय : एक अध्ययन ८ प्रभावनाः- रत्नत्रय प्रकाश द्वारा स्वात्मा को प्रभावित करना और दानादि द्वारा अन्यों को प्रभावित करना। सम्यग्ज्ञानाधिकार (श्लोक ३१-३६) दर्शन ( श्रद्धा ) गुण की सम्यग्दर्शनरूप पर्याय होते ही ज्ञान सम्यग्ज्ञानरूप होता है। इन दोनों गुणों का पर्यायान्तर एक एक समय में होता है फिर भी दीप प्रकाशकी तरह सम्यग्दर्शन कारण और सम्यग्ज्ञान कार्य हो जाता है। दोनोंमें लक्षण भेद है, पृथगाराधन इष्ट ही है, कोई बाधक नहीं। सम्यग्ज्ञान की आराधना करते समय आम्नाय-शास्त्र परंपरा, युक्ति और अनुयोगों की निर्दोषता को दृष्टि में लेना आवश्यक होता है। सम्यग्ज्ञान का लक्षण-सत् और अनेकान्त तत्त्वों में वह संशय विपर्यय और अनध्यवसाय से पूर्णतया रहित आत्मस्वरूप ही है (श्लोक ३५)। सम्यग्दर्शन की तरह सम्यग्ज्ञान के भी आठ अंग हैं (श्लोक ३६)। उनका स्वरूप मननीय है । यद्यपि स्वतंत्र श्लोकों में इसका वर्णन नहीं है फिर भी टीका में जो आया उसका संक्षेप इस प्रकार है। १. व्यंजनाचार-भावश्रुत का कलेवर जो द्रव्यश्रुत (शास्त्र-सूत्र-गाथा आदि) के उच्चारण या लेखन की निर्दोषता रखना। २. अर्थाचार--शब्द-पद आदि का यथास्थान समीचीन अर्थ ग्रहण करना । ३. उभयाचार-दोनों की (शब्द और अर्थ की) सावधानता रखना । ४. कालाचार-शास्त्रोक्त समय में (संधिकाल छोडकर ) अध्ययनादि करना । ५. विनयाचार-अध्ययनादि के समय निरहंकार भावपूर्वक नम्रता का होना । ६. उपधानाचार-- अधीत विषय धारणा सहित स्थायी रखना। ७. बहुमानाचार- ज्ञान, शास्त्र आदि सम्बन्धी तथा गुरु सम्बन्धी आदरभाव रखना । ८. अनिवाचार-ज्ञान-शास्त्र-गुरु आदि का अपलाप नहीं करना । सम्यक्चारित्राधिकार दर्शन मोह का अभाव और सम्यग्ज्ञान का लाभ होने पर स्थिर चित्तता पूर्व सम्यक्चारित्र का आलंबन उपादेय है यही क्रम है । वह निरपेक्ष रूप होता है । हिंसा अहिंसा के विचार-विवेक (कुछ सूत्र वाक्य सूक्तियाँ) ___ संपूर्ण सावध योग का परिहार चारित्र है वह विशद अर्थात निर्मल वैराग्यपूर्ण एवं आत्मस्वरूप है (श्लोक-३९) ३२ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.211368
Book TitlePurusharth Siddhyupaya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorManikchand Chavre
PublisherZ_Acharya_Shantisagar_Janma_Shatabdi_Mahotsav_Smruti_Granth_012022.pdf
Publication Year
Total Pages11
LanguageHindi
ClassificationArticle & Achar
File Size846 KB
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