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उन परमाणुओं का तौल चौथाई रत्ती भी न बैठेगा। यदि आप उसका इतना बड़ा टुकड़ा तोड़ लें जो आपकी परमाणु की सूक्ष्मता का अनुमान इस बात से भी लगाया जाकट की जेब में समा जाय तो उसका वजन 1 टन से जा सकता है कि हाइड्रोजन के 20 करोड़ परमाणु यदि भी अधिक होगा। एक पंक्ति में रख दिये जायें तो पंक्ति की लम्बाई केवल
जो धनुष भगवान राम ने तोड़ा था, बाल्मीकि 1 इंच होगी और 40 हजार शंख परमाणुओं का तौल
रामायण के अनुसार वह दधीचि ऋषि की वज्रमयी केवल 1 खसखस के दाने के बराबर होगा। इतना छोटा
हड्डियों का बना हुआ था और केवल 10 फीट लम्बा होने पर भी यह अन्दर से पोला है। जितने स्थान में
था । सम्भवत: इसी कारण वह इतना भारी था कि परमाणु की नाभि स्थित है उससे 1 लाख गुना दूरी
रावण जैसे महायोद्वा भी उसे हिला न सके । पर इलेक्ट्रोन चक्कर लगा रहे हैं । यूं समझिये कि जैसे एक 30 फीट व्यास के गोले के केन्द्र में एक आलपिन परमाणु की नाभि के चारों ओर चक्कर काटने की नोक रखी हो। ठीक उसी प्रकार परमाणु के मध्य वाले इलेक्ट्रोन 1 इंच लम्बाई में 50 खरब समा जाते में उसकी नाभि स्थित है । नाभि ऐसे पदार्थ से बनी है हैं और 8 करोड़ शंख इलेक्ट्रोनों की तौल केवल पोस्त जिसके 1 घन सेंटीमीटर की तौल 24 करोड़ टन है के दाने के बराबर होती है । यह इलेक्ट्रोन 1300 मील जबकि 1 घन सेंटीमीटर सोने की तौल केवल डेढ़ तोला प्रति सेकेंड की गति से घूमते रहते हैं, जबकि बन्दूक ही होती है। परमाराओं के अन्दर की पोल को देखकर की गोली 1 सेकिड में आधा मील ही जाती है। ही एक वैज्ञानिक ने कहा था कि “मनुष्य का शरीर जिन परमाणुओं से बना है उन परमारणुओं की अन्दर
परमाणुओं की नाभि में न केवल प्रोटोन ही पाये की पोल को यदि समाप्त कर दिया जाय और सब
जाते हैं अपितु वहां न्यूट्रोन नाम का एक और कण भी इलेक्ट्रोन-प्रोटोन एक स्थान पर एकत्रित कर लिये जायें
होता है। न्यूट्रोन नाम के कण, उदासीन कण होने के तो मनुष्य का शरीर केवल इतना-सा रह जायेगा कि
कारण, परमाणुओं के वक्ष को भेदने में बड़े कुशल होते नंगी आंख से तो नहीं किन्तु शायद सूक्ष्मदर्शी लैस से।
हैं। इनके सम्बन्ध में बिहारी की यह उक्ति ठीक बैठती दिखाई दे जाय।" सोचिये तो सही, इस खोखलेपन पर
है कि 'देखन में छोटे लगें, करें घाव गम्भीर ।' कई-कई
फीट मोटे शीशे की चादरों के पार निकल जाने की भी यह भोला मनुष्य अपने रूप और शक्ति के अहंकार
इनमें क्षमता है, जिन्हें एक्स किरण भी नहीं पार कर में चूर है।
पातीं। इन्हीं न्यूट्रोन कणों की सहायता से एटम बम का जब परमाराओं के बीच की पोल निकल जाती है विस्फोट होता है। जिस वायु से हम सांस लेते हैं उसमें और केवल नाभियाँ ही एक स्थान पर एकत्रित हो भी न्यूट्रोन विद्यमान हैं। वायु के 1 अरब परमाणुओं जाती हैं तो उस भारी पदार्थ की उत्पत्ति होती है जो में केवल 5 न्यूट्रोन कण हैं। यदि मनुष्य के शरीर में लुब्धक (सीरियस) तारे के प्रकाशहीन साथी तारे में यूरेनियम (वह धातु जिसका एटम बम बनता है) होता पाया जाता है और जो प्लैटिनम ने 2000 गुना अधिक भारी है, इसे 'न्युक्लियर मैटर' कहते हैं और भारतीय का उसी प्रकार विस्फोट कर देते, जैसे एटम बम में भाषा में 'वज' कह सकते हैं। इस प्रकाशहीन तारे का होता है। परमपिता परमात्मा की लीला देखिये कि व्यास सूर्य के व्यास का 30 वां भाग है किन्तु इसकी उसने मनुष्य का शरीर बनाने में उस मिट्टी का प्रयोग तौल सूर्य की तौल का तीन-चौथाई है। हिसाब लगाने किया है जिसमें लोहा, तांबा आदि धातुएं तो थीं, किन्तु से पता चलता है कि जिस पदार्थ का यह बना हआ है यूरेनियम नहीं था।
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