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________________ सोलह अक्षरों का मंत्र-अरिहंत-सिद्ध-आइरिय-उवज्झाय-साहू अथवा ___ अर्हत्सिद्धाचार्य उपाध्याय सर्व साधुभ्यो नमः / छ: अक्षरों का मंत्र-अरिहंत सिद्ध, ऊँ नमः सिद्धेभ्यः, नमोऽर्हत्सिद्धेभ्यः / पांच अक्षरों का मन्त्र--अ-सि-आ-उ-सा, णमो सिद्धाणं / चार अक्षर का मंत्र-अरिहंत, अ-सि-सा-हूँ। दो अक्षर का मंत्र- ऊँ ह्रीं, सिद्ध, असि। एक अक्षर का मंत्र-ऊँ, ओं, ओम्, अ, सि / ग्रंथ में णमोकार-मन्त्र की साधना के क्रमिक सोपानों का विवेचन किया गया है। अनेक प्रकार के उपद्रव अमंगल, रोग एवं भय का निवारण करने के लिए भी विविध मन्त्र दिए गए हैं। मंत्रों की जाप्य विधि, माला एवं आसन के सम्बन्ध में भी आवश्यक निर्देश दिए गए हैं / लोक-कल्याण की दृष्टि से महत्त्वपूर्ण इस ग्रंथ को मुद्रित करवाते समय आचार्य श्री की यह भावना रही होगी कि इस ग्रंथ के प्रकाशन से , जैन धर्मानुयायियों की धर्म में निष्ठा केन्द्रित होगी और वे अपने मंगल-कार्यों की सिद्धि एवं अनिष्ट-निवारण के लिए जैनेतर मन्त्रों का आश्रय न लेकर कल्पवृक्ष तुल्य णमोकार-मन्त्र की शरण में आकर जीवन को सार्थक बनायेंगे। सृजन-संकल्प Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.211085
Book TitleNamokar Mantra Kalpa
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSandip Jain
PublisherZ_Deshbhushanji_Maharaj_Abhinandan_Granth_012045.pdf
Publication Year1987
Total Pages2
LanguageHindi
ClassificationArticle & Panch Parmesthi
File Size321 KB
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