________________ जैनागमों में मुक्ति : मार्ग और स्वरूप | 307 (6) सुगति (क) द्रव्य विवक्षा-सुख से (कष्ट के बिना) इष्ट स्थान को पहुंच जाय / 000000000000 000000000000 आत्मा का कर्मबन्धन से मुक्त होना / (7) हित (क) द्रव्य विवक्षा-जिस मार्ग पर चलना हितकर हो / (ख) भाव विवक्षा-रत्नत्रय से आत्म-स्वरूप की प्राप्ति हो क्योंकि आत्मा का वास्तविक हित यही है ! (8) सुख (क) द्रव्य विवक्षा-जिस मार्ग पर चलने में सुखानुभूति हो वह सुखकर मार्ग है। (ख) भाव विवक्षा-रत्नत्रय की आराधना से आत्मिक सुख की प्राप्ति हो / (9) पथ्य (क) द्रव्य विवक्षा-जिस मार्ग पर चलने से स्वास्थ्य का सुधार हो / (ख) भाव विवक्षा-रत्नत्रय की आराधना से कषायों का उपशमन हो / (10) श्रेय (क) द्रव्य विवक्षा-जो मार्ग गमन करने वाले के लिए श्रेयस्कर हो / (ख) भाव विवक्षा-रत्नत्रय की साधना से मोह का उपशमन हो / (11) निर्वृत्ति (क) द्रव्य विवक्षा-जिस मार्ग पर चलने से मानसिक अशान्ति निर्मल हो / CRETANI RTIES WITHILU ANPAANI MAINMK (12) निर्वाण (क) द्रव्य विवक्षा-जिस मार्ग पर चलने से शारीरिक एवं मानसिक दुखों से निवृत्ति मिले / (ख) भाव विवक्षा-रत्नत्रय की साधना से घाति कर्म चतुष्टय का निर्मल होना / (13) शिव (क) द्रव्य विवक्षा -जिस मार्ग पर चलने से किसी प्रकार का अशिव (उपद्रव) न हो। (ख) भाव विवक्षा-रत्नत्रय की साधना से शैलेषी (अयोग) अवस्था प्राप्त हो / मार्ग के प्रकार लौकिक लक्ष्य-स्थान के मार्ग तीन प्रकार के हैं-१. जलमार्ग, 2. स्थलमार्ग, और 3. नभमार्ग / इन मार्गों द्वारा अभीष्ट स्थान पर पहुँचने के लिए तीन प्रकार के साधनों का उपयोग किया जाता है / 1. गमन क्रिया करने वाले के पैर, 2. यान और 3. वाहन / इसी प्रकार लोकोत्तर लक्ष्य-स्थान "मुक्ति" के मार्ग भी तीन प्रकार के हैं। 1. ज्ञान, 2. दर्शन और 3. चारित्र / सम्यग्दर्शनज्ञानचारित्राणि मोक्षमार्ग / 26 / मार्ग के प्रकार मार्ग छह प्रकार के है-१. नाम मार्ग, 2. स्थापना मार्ग, 3. द्रव्य मार्ग, 4. क्षेत्र मार्ग, 5. काल मार्ग और 6. भाव मार्ग / (1) नाम मार्ग-एक ग्राम से दूसरे ग्राम जाने वाला मार्ग जिस नाम से अभिहित हो-वह नाम मार्ग है। यथा-यह इन्द्रप्रस्थ जाने वाला मार्ग है। (2) स्थापना मार्ग-एक ग्राम से दूसरे ग्राम जाने के लिए जिस मार्ग की रचना की गई हो-वह स्थापना मार्ग है / यथा-पगदण्डी, सड़क, रेलमार्ग आदि / (3) द्रव्य मार्ग-यह मार्ग अनेक प्रकार का है। (क) फलक मार्ग-जहाँ पंक अधिक हो वहाँ फलक आदि लगाकर मार्ग बनाया जाय / (ख) लता मार्ग-जहाँ लताएँ पकड़कर जाया जाय / OPIEDIAS . .