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आधार
१. सजीव घात
बहुजन्तु योनि स्थान बहु- स्थिति से हिंसा घात / बहुवध
त्रस-जीव हिंसा
२, स्थावर जीव घात
( अनंतकायिक )
३. प्रमाद / मादकतावर्धक
जैन शास्त्रों में आहार विज्ञान
सारिणी ५. अभक्ष्यता के आधार (शास्त्रीय)
७. अपक्वता / अशस्त्र प्रतिहतता अनग्निपक्वता
धर्म संग्रह (अ) किण्वित
१.
मद्य
२.
मक्खन
चलित रस
द्विदल
४. रोगोत्पादकता / अनिष्टता
४. अनुपसेव्यता / लोकविरुद्धता ६. अल्पफल - बहुविघात, अल्प वनस्पतिघात भोज्य-बहु-उज्झणीय
३.
४.
कारण
उदाहरण
दो या अधिकेन्द्रिय जीवों की पंचोदुम्बरफल, चलितरस, अचार-मुरब्बादि, मधु, मांस, द्विदल, रात्रिभोजन
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प्रत्येक / अनंतकाय वनस्पति कंदमूल, बहुबीजक, कोंपल जीवों की हिंसा कच्चे फल
उन्मत्तता, चित्त- मद्य, गांजा, भांग, चरसादि
आलस्य,
विभ्रम
स्वास्थ्य के लिए अहितकर
-
सभी वनस्पति प्रारम्भ में सजीव रहते हैं, अप्रासुक हैं
इन आधारों पर शास्त्रों में अभक्ष्य पदार्थों की बाइस संख्या अठारहवीं सदी में स्थिर हुई है । इसके पूर्व शास्त्रों में गई, पर निश्चित संख्या का संकेत नहीं था । साध्वी मंजुला उल्लेख धर्मसंग्रह नामक ग्रन्थ में मिलता है । सारिणी ६ अभक्ष्यों को दिया गया है । इससे स्पष्ट है कि प्रत्येक सूची में कुछ अन्तर है ऐसा प्रतीत होता है कि इस सूची में समय-समय पर नाम जोड़े गये हैं, इसीलिए इसमें अनेक नामों/
श्रेणियाँ बताई गई हैं । यह अभक्ष्यों की कोटियाँ तो बताई के अनुसार, इनका सर्वप्रथम में तीन स्रोतों में प्राप्त बाइस
मद्य
मक्खन
चलित रस
सारिणी ६. विभिन्न स्रोतों में बाइस अभक्ष्य जीव विचार प्रकरण २
प्याज, लहसुन आदि गन्ने की गड़ेरी, तेंदू, कलींदा फलीदार पदार्थ, नाली, सूरण जल
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दौलतराय क्रियाकोष
मद्य
मक्खन
१. साध्वी मंजुला; अनुसंधान पत्रिका - ३, १९७५, पृ० ५३
२. शान्तिसूरि; जीव विचार प्रकरण, जैन मिशन सोसाइटी, मद्रास, १९५०, पृ० ५७ ३. दौलतराम, पंडित; जैन क्रिया कोष, जिनवाणी प्रचारक कार्यालय, कलकत्ता १९२७
किव्वन-पदार्थ घोल बड़ा दही बड़ा
द्विदल
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