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-यतीन्द्र सूरि स्मारकग्रन्थ - जैन-साधना एवं आचार - सब तथ्यों को देखते हुए स्मृति को प्रमाण मानना युक्ति संगत की सादृश्यता का वर्णन भूतकाल से स्मृति के रूप में आता है।
इस संकलन में सादृश्यता आधार है। इस तरह जैन-विचारकों ने सब तरह से स्मृति को प्रमाण (३) वैसादृश्य-घोड़े से हाथी विलक्षण होता है। ऐसा माना है। भले ही इसे प्रत्यक्ष प्रमाण की कोटि में न रखकर जानने के बाद कोई व्यक्ति जब पशुशाला में जाता है और घोड़े परोक्ष प्रमाण की ही कोटि में क्यों न रखा जाए।
के अतिरिक्त वह कुछ ऐसे पशुओं को भी देखता है जो घोड़े से
विलक्षण मालूम पड़ते हैं तो वह तुरंत समझ जाता है कि प्रत्यभिज्ञान
विलक्षण दिखाई देने वाला हाथी ही है। इस संकलन-ज्ञान में ___संकलन-ज्ञान को प्रत्यभिज्ञान कहते हैं। इसमें प्रत्यक्ष वैसादृश्यता आधार है। और अतीत से प्राप्त ज्ञानों का संकलन होता है। इसे परिभाषित
(४) प्रतियोगी-अभी किसी ने वाराणसी से इलाहाबाद कहते हुए माणिक्यनन्दी ने कहा है--
की दूरी पार की है। बहुत पहले वह वाराणसी से कलकत्ता गया "दर्शनस्मरणकारणकं संकलनं प्रत्यभिज्ञानम्" 3/5
था, जिसकी दूरी अधिक है और इस समय याद आ रही है। अर्थात् दर्शन और स्मरण के कारण जो ज्ञान संकलित।
अतः वह कहता है वह इससे दूर है अर्थात् कलकत्ता से वाराणसी रूप में प्राप्त होता है वही प्रत्यभिज्ञान है। यहाँ दर्शन से मतलब की दूरी वाराणसी से इलाहाबाद की दूरी से अधिक है। यह है प्रत्यक्ष बोध। इस संकलन-ज्ञान के मुख्यतः चार प्रकार होते. उससे छोटा है अथवा यह उससे बड़ा है-ऐसा भी. हम कहते हैं।
इन सभी में प्रतियोगिता को आधार माना गया है। 'तदेवेदं तत्सदृशं तद्विलक्षणं तत्प्रतियोगीत्यादि-'3/5
मुनि नथमलजी ने लिखा है।४-- 'प्रत्यभिज्ञान में दो अर्थों
का संकलन होता है और उसके तीन रूप होते हैं--(१) प्रत्यक्ष अर्थात्, एकत्व, सादृश्य, वैसादृश्य, प्रतियोगी आदि
तथा भूतकालीन ज्ञान की स्मृति (२) दो प्रत्यक्ष बोधों का प्रत्यभिज्ञान के प्रकार के रूप में जाने जाते हैं। प्रमाण-मीमांसा
संकलन तथा (३) दो स्मृतियों का संकलन। ये रूप इस प्रकार में भी कहा गया है १३-- दर्शनस्मरणसंभवतदेवेदं तत्सदृशं तद्विलक्षणं तत्प्रतियोगीत्वादिसंकलनं प्रत्यभिज्ञानम्'
__ अर्थात्, आचार्य हेमचन्द्र ने माणिक्यनन्दी के प्रत्यभिज्ञान १. प्रत्यक्ष-स्मृति-संकलन-- संबंधी विचार को अक्षरशः मान लिया है।
(क) यह वही व्यक्ति है। प्रत्यभिज्ञान के प्रकार--
(ख) यह उसके समान है।
(ग) यह उससे विलक्षण है, अर्थात् उसके समान नहीं है। (१) एकत्व-यह वही लड़का है, जिसे कालेज में देखा था। यह वर्तमान में प्राप्त होने वाले प्रत्यक्ष ज्ञान को इंगित
(घ) यह उससे छोटा अथवा मोटा है। करता है तथा वही अतीत काल में ग्रहण होने वाले ज्ञान की २. प्रत्यक्ष-प्रत्यक्ष संकलन-- याद दिलाता है। इस प्रकार इसमें वर्तमान ज्ञान तथा भूतज्ञान का
(क) यह कलम इस कलम के समान है। एकत्व देखा जाता है।
(ख) यह जानवर इस जानवर से विलक्षण है। (२) सादृश्य-गाय की तरह ही नीलगाय होती है। इस जानकारी के बाद जब कोई व्यक्ति जंगल में जाता है और वहाँ (ग) यह लड़का इस लड़के से छोटा है। एक ऐसे पशु को देखता है जो गाय की तरह है तो वह समझ ३. स्मृति-स्मृति संकलन-- जाता है कि यह नीलगाय है। यहाँ पर देखा जाने वाला पशु
(क) वह कपड़ा उस कपडे जैसा है। प्रत्यक्ष अर्थात वर्तमान का ज्ञान देता है और गाय और नीलगाय Anitarianitariandedministraridabrdamiridi[५ ०6dmiriramidionorariandiridnironidadidnianitoria
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