________________ - यतीन्द्रसूरिस्मारक ग्रन्थ - समाज एवं संस्कृति - 66. एवमेगे उ पासत्था, पन्नवंति अणारिया / 73. साविको जाया अबंभस्स पच्चक्खइ णण्णत्थ रायाभियोगेण / इत्थीवसंगया बाला, जिणसासणपरम्मुहा / / - आवश्यकचूर्णि, भाग१, पृ० 554-55 / जहा गंडं पिलागं वा, पिरपीलेज मुहत्तंगं / 74. जैनशिलालेख संग्रह, भाग 2, अभिलेख क्रमांक 8 / एवं विन्नवणित्थीसु, दोसो तत्थ कओ सिया / / 75. जम्बूद्वीपप्रज्ञप्ति-शान्तिसूरीय वृत्ति, अधिकार 2,30 / -सूत्रकृतांग 1/3/4/9-10 76. ज्ञाताधर्मकथा 4/6 / 67. उपासकदशा 1/48 / 77. तम्हा उ वज्जए इत्थी ......आघाते ण सेवि णिग्गंथे / 68. अणंगसेणा पामोक्खाणं अणेगाणं गणियासाहस्सीणं ..... / -सूत्रकृतांग 1/4,1/11 - आवश्यकचूर्णि, भाग 1, पृ० 356 / 78. कप्पइ निग्गंथीणं विइकिट्ठए काले सज्झायं करेत्तए निग्गंथ 69. आदिपुराण, पृ० 125, भारतीय ज्ञानपीठ प्रकाशन, 1919 / निस्साए / (तथा) पंचवासपरियाए समणे निग्गंथे, सट्ठिवास परियाए 70. अड्डा जाव .........सामित्तं भट्टित्तं महत्तरगतं आणा ईसर समणीए निग्गंथीए कप्पइ आयरिय उवज्झायत्ताए उद्दिसित्ताए / सेणावच्चं कारेमाणी ......... / - व्यवहारसूत्र 7, 15, व 20 / 71. देखें-जैन, बौद्ध और गीता का आचार दर्शन, भागर, डा. 79. इस समस्त चर्चा के लिए देखें - मेरे निर्देशन में रचित और सागरमल जैन, पृ० 268 / मेरे द्वारा सम्पादित ग्रन्थ-जैन और बौद्ध भिक्षुणी-संघ- डॉ.अरुण प्रताप 72. .......असईजणपोसणया / उपासकदशा, 1/51 सिंह। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org