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________________ १८ कर्मयोगी श्री केसरीमलजी सुराणा अभिनन्दन ग्रन्थ : षष्ठ खण्ड B errore. . -.-.-.-.-.-.-.-.-.-.-.-.-.-.-.-. - . - . -. - . -. - . - . - .. .. -. -. में सुरक्षित हैं। ये सभी सिक्के अरब गवर्नर अहमद के हैं और इनमें से अधिकतर टकसाली स्थिति में हैं। अरब ___ ओसियां से प्राप्त गवर्नर अहमद को रजत-मुद्राएं इतिहासकारों से पता चलता है कि आठवीं शतब्दी के पूर्व में अरबों के भारत आक्रमण को पूर्व में उज्जैन की एक नवीन शासकीय शक्ति द्वारा नियंत्रित किया गया । २ विद्वानों का मत है कि इस नवीन शक्ति से अभिप्राय अवन्ति के प्रतिहार शासक से है। इससे संकेत मिलता है कि प्रतिहार मालवप्रदेश के अधिपति थे और आठवीं शताब्दी के प्रारम्भ में उनका प्रभुत्व पश्चिम भारत में मारवाड़ तक था । पुराने थेड़ से प्राप्त अहमद के चाँदी के सिक्कों का यह निचय इस बात का प्रमाण है कि आठवीं शताब्दी के प्रारम्भ में ओसियां विद्यमान था और सम्भवतः एक महत्त्वपूर्ण व्यापार-केन्द्र था। ___ इन सिक्कों से भी अधिक महत्त्वपूर्ण हैं इसी थेड़ से उक्त विद्यालय के निर्माण के समय नींवों की खुदाई के समय मिले मिट्टी के चार बड़े-बड़े मंचयन भाण्ड (Storage Jars) जो उपरिलिखित ट्रस्ट में ही सुरक्षित हैं। संचयन भाण्ड पर ब्राह्मी अभिलेख इनमें से दो भाण्डों के उपान्तों पर छोटे-छोटे अभिलेख उत्कीर्ण हैं जो पुरालिपि शास्त्रीय आधार पर लगभग द्वितीय लेखक ओसियां के पुरावशेषों के अध्ययन हेतु श्री मक्खनलाल वार्ष्णेय (प्रधानाध्यापक, जैन विद्यालय तथा अवैतनिक प्रबन्धक, जैन ट्रस्ट) का अत्यन्त आभारी है। सचिया माता मन्दिर तथा महावीर जैन मन्दिर के पुजारी श्री जुगराज भोजक तथा उनके पूरे परिवार से प्राप्त स्नेह तथा सहायता के लिए भी लेखक उनका आभारी है। २. Choudhary, op. cit. ३. वही Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org.
SR No.210338
Book TitleOsiya ki Prachinta
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevendra Handa
PublisherZ_Kesarimalji_Surana_Abhinandan_Granth_012044.pdf
Publication Year1982
Total Pages9
LanguageHindi
ClassificationArticle & Geography
File Size316 KB
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