________________ In pada d the construction of java with the nominative bheu (the other e ditions also read a nominative) is unusual. Monier-Williams, Sanskrit-English Dictionary, s. v. yavat, records a usage of yavat in Sanskrit with a nominative followed by iti. The metre here, however, shows that iti is not to be taken in that way, but is, as usual, part of the phrase found at the end of each ajjhayana. लेखसार उत्तराध्ययन का अध्ययन चतुर्थ अध्ययन का अनुवाद और संपादन : छन्द-विश्लेषण और टिप्पणी यूरोप के विद्वानों ने उत्तरायण-सुत्त का महत्व बहुत पहले जान लिया था। इसीलिये उसके अनेक संस्करण जर्मन, स्वीडन और इंगलैंड के विद्वानों ने संपादित कर प्रकाशित किये हैं। इस लेखक ने भी अनेक शोधपत्र-शृंखला के माध्यम से इस ग्रन्थ की विशेषताओं का निरूपण किया है / इस शोधपत्र में इसके चौथे अध्ययन के अंग्रेजी अनुवाद के साथ विचार किया गया है। इसमें अनेक पूर्ववर्ती संस्करणों से सहायता ली गई है। यह अध्ययन त्रिष्टुभ और जागती पदों में लिखा गया है। इसमें 52 पद हैं। इनके पठन से ज्ञात होता है कि इनमें आरंभ और लय-संगति के लिये कुछ अक्षरों में घटा-बढ़ी की गई है। प्रस्तुत निबंध में इन पर अनेक टिप्पणियों के साथ विचार किया गया है। -572 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org