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________________ वास्तविकता है। सावन महीने में आकाश में जो बादल छाये रहते हैं वे एक ही क्षण में बिखर जाते हैं। जैसे सावन के बादल कब बिखर जाएंगे, यह किसी को कोई पता नहीं होता, वैसे ही जीवन का कब, कैसे, कहां और किस स्थिति में अन्त हो जाएगा, कहा नहीं जा सकता । जीवन अनिश्चित है और मृत्यु निश्चित है। मनुष्य बचपन में भी मर सकता है और युवावस्था में भी । वह चलते हुए भी मर सकता है और बैठे हुए भी । वह दूकान पर भी मर सकता है और ऑफिस में भी । वह देश में भी मर सकता है और विदेश में भी । वह गांव में भी मर सकता है और शहर में भी । वह ट्रेन में भी मर सकता है और प्लेन में भी । वह स्कूटर पर भी मर सकता है और कार में भी । वह हार्ट अटैक से भी मर सकता है और एक्सिडेन्ट से भी । वह कहीं भी किसी भी स्थान पर किसी भी हालत में मर सकता है। इतना जीवन अनिश्चित है। ऐसे जीवन का कैसे भरोसा किया जा सकता है। जीवन इतना अनिश्चित है, फिर भी व्यक्ति इस तरह जीता है, मानो वह अमर रहने वाला हो। वह जीवन की अनिश्चितता और मृत्यु की अनिवार्यता भूल जाता है, इसलिए संसार के प्रति आसक्त रहता है। इस आसक्ति को कम करने का एक ही उपाय है, जीवन के अन्तिम सत्य मृत्यु को सदा दृष्टि समक्ष रखा जाए। मनुष्य के जीवन में एक ऐसी अवस्था आती है जिस अवस्था में वह अविवेक को सर्वाधिक प्रधानता देता है । वह अवस्था ही उन्माद और अविवेक की है। वह अवस्था है यौवन की । इस अवस्था में व्यक्ति संसार के प्रति सबसे अधिक आकर्षित और आसक्त रहता है । इस यौवन की अस्थिरता और चंचलता का न्यायांभोनिधि आचार्य श्री विजयानंद सूरीश्वरजी महाराज ने बड़ा ही मनोहारी वर्णन सरल भाषा में किया है: यौवन धन स्थिर नहीं रहनारे, प्रात: समे जो नजरे आवे, मध्य दिने नहीं दीसे। जो मध्याने सो नहीं राते, क्यों विरथा मन हींसे ॥ पवन झकोरे बादल विनसे, त्यां शरीर तुम नासे । लक्ष्मी जल तरंगवत चपला, क्यों बांधे मन आसे ॥ प्रिया संग सुपन की माया, इनमें राग ही कैसा? छिन में उड़े अर्कतूल ज्यू, यौवन जग में ऐसा ॥ चक्री, हरि पुरंदर राजे मदमाते रसमोहे। कौन देश में मरकर पहुंचे, तिन की खबर न कोये। ३४ श्री विजयानंद सूरि स्वर्गारोहण शताब्दी ग्रंथ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.210036
Book TitleAnitya Bhavana
Original Sutra AuthorN/A
AuthorIndradinnasuriji
PublisherZ_Vijyanandsuri_Swargarohan_Shatabdi_Granth_012023.pdf
Publication Year
Total Pages14
LanguageHindi
ClassificationArticle & Religion
File Size994 KB
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