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भक्तामर यंत्र -१४
Bhaktamara Yantra-14
सम्पूर्णमण्डलशशाङ्ककलाकलाप
नहीं
महाका
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'कस्तान निवारयति संचरतो यथेष्टम? ॥१४॥
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महामानसी स्वाहा ।"
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णमो विउलमईण।"
शुभ्रा गुणास्त्रिभुवनं तव लङ्घयन्ति ।
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ऋद्धि-ॐ ही अहं णमो बिउलमईणं ।
मंत्र-ॐ नमो भगवती गुणवती महामानसी स्वाहा । प्रभाव-लक्ष्मी प्राप्त होती है, आधि-व्याधिशत्रु आदि का आतंक/भय दूर हो जाता है।
सरस्वती प्रसन्न होती है, गुण की वृद्धि होती है। Invoking fortune, wealth & education and removing danger of enemy & disease.
सम्पूर्णमण्डल - शशाङ्ककलाकलाप शुभ्रा गुणास्त्रिभुवनं तव लंघयन्ति । ये संश्रितास्-त्रिजगदीश्वर नाथमेकं कस्तान-निवारयति संचरतो यथेष्टम् ॥१४ ॥
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