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________________ विवेक-चूडामणि कारण-शरीर तत्कारणं नाम शरीरमात्मनः । विभक्तयवस्था प्रलीनसर्वेन्द्रियबुद्धिवृत्तिः अव्यक्तमेतत्त्रिगुणैर्निरुक्तं सुषुप्तिरेतस्य ॥१२२॥ इस प्रकार तीनों गुणोंके निरूपणसे यह अव्यक्तका वर्णन हुआ । यही आत्माका कारण शरीर है । इसकी अभिव्यक्तिकी अवस्था सुषुप्ति है, जिसमें बुद्धिकी सम्पूर्ण वृत्तियाँ लीन हो जाती हैं । सर्व प्रकारप्रमितिप्रशान्तिwww.र्बीजात्मनावस्थितिरेव सुषुप्तिरेतस्य किल प्रतीतिः बुद्धेः । किचन वेीति जगत्प्रसिद्धेः ॥ १२३ ॥ जहाँ सब प्रकारकी प्रमा ( ज्ञान ) शान्त हो जाती है और बुद्धि बीजरूपसे ही स्थिर रहती है, वह सुषुप्ति अवस्था है । इसकी प्रतीति 'मैं कुछ नहीं जानता ' - ऐसी लोक - प्रसिद्ध उक्तिसे होती है । अनात्म-निरूपण देहेन्द्रियप्राणमनोऽहमादयः ४२ सर्वे विकारा विषयाः सुखादयः । व्योमादिभूतान्यखिलं च विश्वमव्यक्तपर्यन्तमिदं http://www.ApniHindi.com नात्मा ॥ १२४॥
SR No.100007
Book TitleVivek Chudamani
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShankaracharya, Madhavanand Swami
PublisherAdvaita Ashram
Publication Year
Total Pages445
LanguageSanskrit
ClassificationInterfaith & Interfaith
File Size19 MB
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