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________________ (४) यदि उसे प्यास मालूम हो तो ठंडे पानी में नीबू का रस मिला कर देना चाहिए । (५) उसे खुली हवा में सुलाना चाहिए । (६) रोगी के निकट एक से अधिक व्यक्ति को उसकी देखरेख के लिए नहीं रहना चाहिए। हम विश्वास दिला सकते हैं कि यदि प्लेग किसी उपचार से च्छा हो सकता है तो वह इस उपचार से और भी शीघ्र अच्छा सकता है । यद्यपि इस रोग की उत्पत्ति के मुख्य कारण का अभी तक पता ह्रीं लग सका है। फिर भी लोगों का आम ख्याल है कि इस रोग अधिकतर चुहे फैलाते हैं । अतः हमें चूहों से हर तरह की वधानी रखनी चाहिए, हमें अपने घर के खाने-पीने के सब मान ढककर रखना चाहिए जिससे चूहों को वहाँ खाने की असु धा हो और वे वहाँ से दूसरी जगह चले जायँ यदि किसी हल्ले में प्लेग का प्रकोम हो गया हो और बहुत प्रयत्न करने पर चूहों से हम अपना पिण्ड न छुड़ा सकें तो हमें चाहिए कि उस को कुछ दिनों के लिए खाली कर दें । प्लेग के आक्रमण से बचने का सबसे अच्छा उपाय स्वास्थ्य म्बन्धी नियमों का पालन करना है। हमें खुली हवा में सोना हिए। साधारण तथा पोषक पदार्थ थोड़ी मात्रा में खाना चाहिए वं घर को साफ-सुथरा रखना चाहिए। नित्य नियमित रूप से याम करना चाहिये । हर तरह के व्यसन छोड़ देने चाहिए र यथासाध्य साधारण जीवन व्यतीत करना चाहिए यों तो हमें न ढंग से सदैव ही रहना चाहिए । लेकिन यदि हम सदैव ऐसा कर सकें तो कम-से-कब प्लेग के दिनों में तो विशेष सावधानी बनी ही चाहिये । सन्निपातिक ज्वर इससे भी भयंकर होता है । यह शीघ्र *
SR No.100004
Book TitleSwasthya Sadhan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohandas Karamchand Gandhi, Gandhiji
PublisherGandhi Granthagar Banaras
Publication Year1951
Total Pages117
LanguageHindi
ClassificationInterfaith & Interfaith
File Size16 MB
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