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________________ ता है बल्कि छेड़ने पर काटता है। क्या इससे यह सूचित होता कि साँप में बुद्धि होती है ? सम्भव है यह बुद्धि का न्ह न माना जाय लेकिन इससे वह निर्दोष अवश्य सावित ता है। अपनी रक्षा के लिये वह अपने दाँतों को काम में लाता । मनुष्य भी बहुधा यही करते हैं। हिन्दुस्तान या किसी देश साँप -रहित करने का प्रयत्न हवा से लड़ने के समान है । किसी स स्थान में सर्पों का आना रोका जा सकता है । उन्हें मार लने पर अन्य साँप वहाँ नहीं आयेंगे। लेकिन अधिकांश हिस्से ऐसा नहीं किया जा सकता हिन्दुस्तान जैसे विशाल देश में को समूल नष्ट कर देने का प्रयत्न कभी भी सफल नहीं हो कला | हमें कभी भी नहीं भूलना चाहिए कि सर्पों को भी उसी वर ने पैदा किया है जिसने हमें और अन्य जीवों को पैदा न्या है। हम ईश्वर के सभी कार्यों को नहीं समझ सकते वर ने शेर, सर्प, बिच्छू इत्यादि को हमारे मारने के लिए नहीं किया है। अगर सभी सर्प मिल कर एक सभा करें और पस में यह तय करें कि आदमी को ईश्वर ने इसी लिए पैदा या है कि वे जहाँ कहीं भी दिखाई पड़े उन्हें मार डाला जाय कि वे भी हमारे साथ ऐसा करते हैं तो क्या हम लोग मी इस बात को मानने के लिये तैयार होंगे, कदापि नहीं ? नी तरह हम लोगों की धारणा है कि सर्प मनुष्य के दुश्मन हैं और उन्हें जहाँ पाओ मार डालो । एसीसी का रहने वाला फ्रांसिस एक बहुत बड़ा फकीर और गी हो गया है। वह प्राय: जंगलों में ही रहा करता था और हाँ जहरीले सर्प तथा भयंकर जानवर रहते थे वहीं घूमता करता था। लेकिन कभी किसी सर्प ने उन्हें नहीं काटा और न सी जंगली जीव ने ही उसे कुछ नकसान पहुँचाया। फ्रांसिस
SR No.100004
Book TitleSwasthya Sadhan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohandas Karamchand Gandhi, Gandhiji
PublisherGandhi Granthagar Banaras
Publication Year1951
Total Pages117
LanguageHindi
ClassificationInterfaith & Interfaith
File Size16 MB
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