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________________ भारत की खोज [ पूरे भाव से पाठ किया जाए तो उस ओउम् का पाठ करने वाले को मृत्यु नहीं आ ती वह अमर हो जाता है। एक डाक्टर ने यह पढा. और उसने यह भी पढ़ा कि शिवानंद जी पहले खद डाक्टर थे संन्यासी होने से पहले। तो उसने कहा कि एक डाक्टर जब ऐसी बात लिखता है तो किसी आधार पर लिखा होगा।' वह आदमी यूरोप से हिंदुस्तान आया। वह भा गा हुआ ऋषिकेश गया, और उसने कहा कि, 'मैं जाकर पहले उनके दर्शन कर लूं। और यह ओउम् का पाठ सीख लूं, क्योंकि अगर ओउम् के द्वारा सब बीमारियां दूर हो सकती हैं तो यह मेडिकल कालेज, और यह मेडिकल का इतना जाल, और इतन 1 दवाईयां यह सब फिजूल हो जाएंगी। इतनी सस्ती तरकीव मिल जाए तव तो बहुत अच्छा है।' वह गया, उसने जाकर स्वामीजी के दफ्तर में जाकर क्लर्क को पूछा, उनके सेकरेट्री को पूछा कि, 'मैं स्वामीजी के दर्शन करना चाहता हूं इसी वक्त।' उनके सेकरेट्री ने कहा, 'स्वामीजी अभी नहीं मिल सकते।' उसने कहा, 'क्यों? क्योंकि वह बीमार प. डे हैं डाक्टर उनकी परीक्षण कर रहा है। उसने कहा, 'यह कभी हो ही नहीं सकता कि स्वामी जी बीमार पड़ जाएं। उन्होंने तो लिखा है किताब में कि ओउम् के पाठ करने से कोई बीमारी कभी नहीं आती, वह तो मर भी नहीं सकते। क्योंकि उसमें ि लखा है कि, 'ओउम् का पाठ करने से मृत्यु भी पास नहीं आती आदमी अमर हो ज ता है। तो उस सेकरेट्री ने क्या कहा है? पता है उसने कहा, 'तुम सव भौतिकवादी हो, तु म समझे ही नहीं उनका मतलब। वह आत्मा की अमरता की, और आत्मा के स्वास्थ य की वातें कर रहे हैं। शरीर की नहीं।' अव आत्मा कभी मरती है, अगर मरती ह ो तो फिर ओउम् का पाठ करने से अमर हो सकती है। आत्मा कभी वीमार पड़ती है, अगर बीमार पड़ती हो तो ओउम् के पाठ करने से स्वस्थ्य हो सकती है। वह बे चारा हैरान हो गया, उसने कहा कि, 'यह तो वात शरीर की होनी चाहिए। शरीर ही बीमार पडता है, शरीर ही मरता है।' लेकिन उस सेकरेट्री ने कहा, 'आप अजीव से आदमी आ गए हैं, हजारों आदमी आ ते हैं और हजारों आदमी स्वामीजी की किताब पढ़ते हैं। इस तरह के प्रश्न कोई भी नहीं उठाता। हम कभी इस तरह के प्रश्न उठाएंगे नहीं। अगर हमको स्वामीजी वीम र मिल जाएं, मरे हुए भी मिल जाएं तो हम कहेंगे कि स्वामीजी लीला दिखा रहे हैं | स्वामीजी कहीं मर सकते हैं। लीला कर रहे हैं, नाटक कर रहे हैं, भक्तों की परि क्षा ले रहे हैं। अरविंद मर चुके हैं लेकिन आश्रम में अभी भी यह माना जा रहा है । क वह जिंदा हैं, अभी मरे नहीं। अरविंद आश्रम में कोई मानने को राजी नहीं कि अ रविंद मर गए। क्योंकि अरविंद ने अपनी किताबों में लिखा है कि मैंने फिजिकल इम ोर्टलिटी को पा लिया। मैं शारीरिक रूप से अमर हो गया हूं। और मेरे योग का जो पालन करेगा वह शारीरिक रूप से अमर हो जाएगा वह कैसे मर सकता है? Page 91 of 150 http://www.oshoworld.com
SR No.100003
Book TitleBharat ki Khoj
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherOsho Rajnish
Publication Year
Total Pages150
LanguageHindi
ClassificationInterfaith & Interfaith
File Size1 MB
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