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________________ भारत की खोज एक, एक पश्चिम का विचारक है। वह हिंदुस्तान आया हुआ है। एक दो छोटी-सी घ एं फिर मैं अपनी बात परी करूं वह हिंदस्तान आया। वह दिल्ली उतरा। वह जैसे ही दिल्ली के स्टेशन पर उतरा एक सरदार जी ने उसका हाथ पकड़ लिया। जार्ज माईस उसका नाम था। सरदार ने उसका हाथ पकड़ लिया, और जल्दी से बिना उस के कहे वह सरदार उसका बताने लगा भविष्य और अतीत और जन्म और मृत्यु औ र रेखाओं का अर्थ। उस जार्जमाईस ने कहा, 'क्षमा करिए मैं जानना ही नहीं चाहत । हूं। मैं जानना ही नहीं चाहता हूं आप मांफ करिए। मुझे भविष्य को जानने की को ई उत्सुक्ता नहीं है। मैं अभी जीना चाहता हूं। इसी क्षण जब भविष्य आएगा तब फि र जीऊंगा, अभी तो भविष्य आया नहीं है। जी सकता नहीं है। इसलिए उसकी फिक्र , बकवास में समय नहीं खोना मुझे। मैं अभी जीना चाहता हूं। तो सरदार ने कहा, 'मटिरियलिस्ट हो तुम, अभी जीना चाहते हो। और जो भविष्य की रेखा पूछ रहा है कि कल क्या होगा, परसों क्या होगा, कब मरूंगा, यह आध्या त्मवादी है। सच बात यह है कि यह भौतिकवादी से ज्यादा भौतिकवादी है। वह वेचा रा आज की फिक्र कर रहा है यह कल की भी फिक्र कर रहा है। इसकी एनजाईटी, इसकी चिता, इसका लाभ, कल तक फैला हुआ है। लेकिन वह सरदार जी बताएं ही चले गए। उस आदमीने कहा, 'माफ करिए, मैं सिर्फ शिष्ठता वश अपना हाथ आ पसे नहीं छुड़ा रहा हूं, मैं जानना ही नहीं चाहता।' लेकिन सरदार ने कहा, 'मेरी दो रुपया फीस हो गई है। इतनी देर मैंने बताया, दो रुपया मेरी फीस दे दीजिए।' उस आदमी ने दो रुपया फीस दे दी। सरदार फिर और आगे बोलने लगा। उस आदमी ने कहा, 'माफ करिए, आपकी फीस फिर हो जाएग ी, और मैं जानना ही नहीं, चाहता।' सरदार ने क्या कहा पता है कहा कि, 'तुम भ तिकवाद हो नीरे, दो रुपए के पीछे भविष्य भी नहीं जानना चाहते।' जार्जमाईस ने अपने संस्मरण में लिखा है कि भौतिकवादी कौन था मैं समझ ही नहीं पाया। मैं या वह आदमी जो बता रहा था। वह दो रुपया खींचने के लिए जबरदस्ती मुझे बताए चला जा रहा था। और जब मैं इनकार करता हूं दो रुपए दे चुका हूं और आगे दो रुपया देने से इनकार करता हूं तो मुझे गाली देता है कि तुम भौतिकवादी हो पश्चि म के लोग। दो रुपए के पीछे मरे जा रहे हो। यह हमारी, यह हमारी चित्त दशा अध्यात्मवाद है यह। हम बहूत भौतिकवाद के भी नीचे तल पर खड़े हैं। लेकिन अपने मन को फूलाने के लिए अध्यात्म की बातें किए चले जा रहे हैं। और क्या करते हैं अध्यात्म की बातें। एक दूसरी घटना मैंने पढ़ा तो मैं हैरान हुआ, एक विचारक, एक किताब पढ़ा स्वामी शिवानंद ने एक किताब लिखी है ऋषिकेश के, अब तो वह चल बसे, स्वर्गीय हो गए उस किताब में उन्होंने लिखा है कि जो अ उम् का जाप करे निरंतर सच्चे भाव से भावना से ओउम् का पाठ करे। उसको कभ । कोई वीमारी नहीं छू सकती। वह सदा स्वस्थ रहेगा। यहां तक कि अगर ओउम् क Page 90 of 150 http://www.oshoworld.com
SR No.100003
Book TitleBharat ki Khoj
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherOsho Rajnish
Publication Year
Total Pages150
LanguageHindi
ClassificationInterfaith & Interfaith
File Size1 MB
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