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भारत की खोज
देखने की जरूरत है। आपको देख लेना काफी है, उसे पता चल जाता है कि पास कुछ भी नहीं है। लेकिन हम दावा करते हैं कि हमने सत्य को जान लिया है। हम सत्य को जान ही चुके हैं, जानना नहीं है, कुछ बाकी नहीं है । हमारी किताबों में सब लिखा है, और सब अंतिम सत्य लिख दिया गया है। यह अवैज्ञानिक है एंटिसा टफिक, विज्ञान विरोधी चित्त की धारणाएं हैं।
सत्य विकास और सत्य की दिशा और सत्य का अनुभव विकास मान है एव्यूलुशनरी है। कोई जान नहीं लिया गया है कहीं ठहर नहीं गई है दुनिया । हम जानते चले ज रहे हैं एक-एक यात्रा है नोईन की, जानने की, जानते जा रहे हैं, जानते जा रहे हैं और कभी ऐसा वित नहीं आएगा कि हम सब कुछ जान लेंगे। इतना अनंत है गत कि हम जितना जानेंगे वह हमेशा उससे थोड़ा होगा। जो जानने को शेष रह जा एगा। इतना अनंत है विस्तार, इतना असीम है विस्तार और बड़े मजे की बात है ज
धार्मिक आदमी है वह एक तरफ तो कहते हैं कि भगवान अनंत है और दूसरी तर फ कहते हैं कि भगवान जान लिया गया है। दोनों बातें बड़ी उल्टी हैं। जो जान लिय जाए वह अनंत नहीं हो सकता जानने की वजह से सीमित हो जाता है शांत हो जाता है फाईनाईट हो जाता है।
सच तो यह है कि विज्ञान ने पहली दफा कहा कि, 'सत्य अनंत है क्योंकि कभी भी पूरा नहीं जाना जा सकेगा।' हम समुद्र में कूद सकते हैं लेकिन हमने समुद्र पा नहीं लिया। ऐसे ही हम सत्य के सागर में कूद सकते हैं यात्रा कर सकते हैं लेकिन कभ ऐसा नहीं होगा कि हम कहेंगे कि हमने पूरे सत्य को पा लिया, तब तो हम सत्य से बड़े हो जाएंगे। तब तो सत्य हमारी मुट्ठी में हो जाएगा। और जिन लोगों ने यह कहा कि सत्य पा लिया गया, उन्हीं लोगों ने दुनिया में मतांधता पै निटिइजम पैदा किया। क्योंकि मुसलमान कहता है कि हमने सत्य जान लिया और हिंदू कहता है ह मने सत्य जान लिया और जैन कहता है हमने सत्य जान लिया और तीनों के सत्य बड़े अलग-अलग हैं।
अब तीनों में झंझट होते हैं कि सत्य किसका है तो तलवारें निकल आती हैं, और कोई सिद्धांत सिद्ध करने के उपाय ही नहीं हैं। किसके पास बड़ी तलवार है कौन कि सकी गर्दन काट सकता है वही सत्य है। तो मुसलमान छाती में छुरा भौंकता है। हिं भौंकता है, झगडे होते हैं और झगड़े किस बात के हो रहे हैं, झगड़े इस बात के हो रहे हैं और झगड़ा उन लोगों ने करवाया, जिन्होंने कहा कि सत्य जान लिया गय TI जिन लोगों ने सत्य को जानने का दावा किया, वह दुनिया को झगड़ों में डालने का कारण बने।
विज्ञान के कारण झगड़ा नहीं हुआ आप हैरान होंगे, धर्मों ने झगड़े करवाए, विज्ञान ने पहली दफा झगड़ों को खत्म किया। विज्ञान के पास कोई झगड़ा नहीं क्योंकि विज्ञा न दावेदार नहीं है। विज्ञान यह नहीं कहता कि हमने सत्य जान लिया। वह विनम्र है बहुत हंबल है। वह कहता है हम जानने की कोशिश कर रहे हैं अगर हमने भी कु छ जाना हो तो आओ शेयर कर लें। हम बांट लें। इसलिए दुनिया का वैज्ञानिक
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