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________________ भारत की खोज एक हवा पैद की जानी चाहिए, जिसमें हर बच्चा इस तरह बडा हो कि वह कहे कि , यह मैं जानता हूं यह मैं नहीं जानता हूं, यह मैं जानने की कोशिश कर रहा हूं। और जो मैं जानता हूं वह भी अभी तक जितना ज्ञान है मेरा उस हिसाब से कहता हूं कल ज्ञान बदल जाएगा, बढ़ जाएगा तो मैं जो जानता हूं उसका दावा नहीं करूंगा । जो लोग दावा करते हैं कि हम जिंदगी में कंसिस्टैंट रहे। बीस साल की उम्र में ज ने मानते थे अस्सी साल की उम्र में भी वही मानते हैं हम पक्के ईमानदार हैं। वह ई मानदान नहीं सिर्फ जड़ बुद्धि हैं। बीस साल की उम्र में जो आदमी मानता है अस्सी साल की उम्र में कैसे मान सकता है या तो साठ साल उसने कुछ सोचा ही ना हो, कछ खोजा ही ना हो, बीस साल में ही उसकी खोपड़ी रुक गई हो। उसका विकास ना हुआ हो, और अगर विकास हु आ होगा तो अस्सी साल में आदमी वही कैसे मान सकता है जो वीस साल में मानत [ था। लेकिन आप बड़े मजे की बात देखें बच्चा हिंदू ही पैदा होता है हिंदू ही मरता है। बच्चा जिन नासमझियों को मान कर खड़ा होता है वह उन्हीं को मरते दम तक मानता रहता है जिस बचपन में उसका सीखाया गया था राम-राम का जाप मरते वक्त आखिरी सांस छोड़ता है और कहता है हे राम! और सारा मूल्क बड़ा प्रसन्न ह ता है कि बहुत धार्मिक आदमी था राम-राम कहते हुए मर गया। जड़ वृद्धि था, स्टूपिड था। जो बचपन में सीखा दिया गया था उसको जिंदगी भर दौ हराता रहा, ना उसने सोचा, ना उसने खोजा, ना वह आगे बढ़ा, लेकिन वह आदमी कहेगा कि मैं कनिसस्टैंट हूं। मैं संगत हूं मैंने कल जो कहा था वही मैं आज कहता हूं। मैंने परसों जो कहा था वही में आज कहता हूं। मैंने बचपन में जो कहा था वह । मैं बुढ़ापे में कह रहा हूं। जिंदगी, जिंदगी बहुत विकास की बात है। तो वैज्ञानिक बुद्धि का आदमी यह नहीं कहता कि जो मैं आज कह रहा हूं वही चरम सत्य है। व ह यह कहता है कि आजतक मैं जो जानता हूं उसके आधार पर यह सत्य मालूम प. डता है। कल मैं और जान लूंगा और हो सकता है कि सत्य की बदलाहट हो जाए। कल मैं और जान लूं और हो सकता है कि नया ही सत्य स्थापित हो जाए। कल मैं और जान लूं, और जिसे मैं आज सत्य कह रहा हूं वह असत्य हो जाए। मैं जानता रहूंगा, मरते क्षण तक जानता रहूंगा। इसलिए दावा नहीं करूंगा कि सत्य को जान लिया है। सत्य को जानने की चेष्ठा करनी चाहिए, जान लेने का दावा न हीं। और जो कौम दावा करती है कि हमने सत्य को जान लिया और उन कौमों में हम सबसे अद्भुत कौम हैं, हमारा दावा यह है कि हम जान चुके, अव हमारा एक ही काम है कि हम दुनिया को जनावें, तो हमारे मुल्क के सारे नेता कहते फिरते हैं। सारी दुनिया हमारी तरफ देख रही है ज्ञान के लिए, कोई नहीं देख रहा किसी की तरफ। हमारे गुरु समझाते हैं कि सारी दुनिया भारत की तरफ देख रही है कि हमें आध्याति मक ज्ञान दो, मार्ग दर्शन दो, कोई. . . कौन देख रहा है आपकी तरफ। यह खुद ही आप कहे चले जा रहे हैं। और क्यों कोई देखेगा, आपके पास है क्या? जिसके लिए Page 40 of 150 http://www.oshoworld.com
SR No.100003
Book TitleBharat ki Khoj
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherOsho Rajnish
Publication Year
Total Pages150
LanguageHindi
ClassificationInterfaith & Interfaith
File Size1 MB
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