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________________ भारत की खोज तो वह कहते हैं कि जो संदेह करेगा वह भटक जाएगा। और विज्ञान कहता है कि जो संदेह करेगा वही सत्य को जान सकता है इसलिए पुरोहित और विज्ञान के बीच एक दुश्मनी है जो पूरी कभी नहीं हो सकती। जब तक पुरोहित है तब तक विज्ञान नहीं हो सकेगा। और अगर विज्ञान होगा तो पुरोहित को विदा हो जाना पड़ेगा । तो पुरोहितों ने कहा, 'ज्ञान का वृक्ष मत चखना आदम के मन में जिज्ञासा हुई होगी स् वाभाविक है जिस चीज को इनकार किया जाता है। उसकी जिज्ञासा पैदा होती है अ दम तो भोले बच्चे की तरह रहा होगा। वह पहला आदमी वह गया और उसने ज्ञा न का फल चख लिया। और फिर उसने निकाल बाहर कर दिया । और ईसाई पुरोहि त कहते हैं कि उसी ज्ञान के फल चखने के पाप के कारण आज भी अब तक कष्ट भोग रही हैं। हम जो कष्ट भोग रहे हैं वह ज्ञान का फल चखने के कारण भोग रहे हैं । अगर हम पुरोहितों की मान लें और ज्ञान को जला डालें तो हम सब बड़े आनंद में हो जाएंगे क्योंकि हम सब मूढ़ हो जाएंगे । मूढ़ तो आनंद में होता ही है । क्योंकि मूढ़ को दुःख का भी पता नहीं चलता । मूढ़ तो मूढ़ है वह बगावत भी नहीं करता। इस लिए दुनिया के पुरोहित समझदार हैं ज्ञान मत बढ़ने दो । ज्ञान बढ़ता है जिज्ञासा से, जिज्ञासा पैदा होती है संदेह से इसलिए संदेह के बीज को नष्ट कर दो इसको जला डालो। हिंदुस्तान में कितने हजारों वर्ष से शूद्र हैं। करोड़ों शूद्र हैं लेकिन कोई बगावत नहीं हो सकी शूद्रों की क्यों ? क्योंकि हिंदुस्तान के ब्राह्मणों ने बहत होशियारी की उन्होंने ज्ञान से शूद्रों को वंचित कर दिया जहां ज्ञान वंचित हुआ वहां बगावत नष्ट हो जाती है। शूद्र कोई बगावत नहीं कर सके कोई विद्रोह नहीं कर सके। उनको मूढ़ता में रखा ग या, इग्नोरेंस में रखा गया। उन्हें पढ़ने का हक नहीं, पढ़ना तो दूर उन्हें धर्मशास्त्र क शब्द सुनने का हक नहीं। गांधी जी जिन राम के राज्य को आने की चर्चा करते थे कहानी यह कहती है कि उन राम ने ही एक शूद्र के कानों में एक शीशा पिघलवा कर भरवा दिया। क्योंकि उसने एक मकान के पास से निकलते हुए, मकान के भी तर ऋषि पढ़ रहे थे वेद । उसने खड़े होकर वेद के वचन सुन लिए, यह पाप है। शू द्र को ज्ञान का हक नहीं है। ऐसा राम राज्य गांधी जी हिंदुस्तान में लाना चाहते थे। वहां शूद्रों के कानों में शीशा पिघलवा कर भरवाया जाएगा। क्योंकि शूद्र को ज्ञान का हक नहीं हो सकता । शूद्र को ज्ञान का हक क्यों नहीं है ? इसलिए नहीं हैं कि जिस दिन शूद्र को ज्ञान मि ला उसी दिन उपद्रव शुरू हो जाएगा। उपद्रव शुरू हो गया। अंग्रेजों ने शूद्रों को शिक्षा दी और उपद्रव शुरू हो गया। डा० अम्बेडकर भारत के पूरे हजारों साल के इतिहा स में पहला शूद्र है जो ठीक से शिक्षित हुआ। कोई शूद्र शिक्षित नहीं हो सका है। इ सलिए शूद्रों की लम्बी कथा में एक भी नाम नहीं है जो आप लेकर बता सकें कि ह म नाम भी ले सकें कि कोई एक नाम पैदा हुआ हो प्रतिभाशाली कोई एक व्यक्ति पै हुआ हो । Page 30 of 150 http://www.oshoworld.com
SR No.100003
Book TitleBharat ki Khoj
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherOsho Rajnish
Publication Year
Total Pages150
LanguageHindi
ClassificationInterfaith & Interfaith
File Size1 MB
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