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भारत की खोज
हमें दिखाई न पड़े इसलिए हम कुएं की तरफ देखते ही नहीं हम आकाश की ही तरफ देखते रहते हैं। कुएं की तकलीफ दिखाई न पड़े इसलिए आकाश की तरफ दे खते रहते हैं और धीरे-धीरे हमने यह भूलने की कोशिश की है कि कुआं है भी ह्व
आचार्य शंकर जैसे लोगों ने समझाने की कोशिश की है कि यह सब संसार माया है, यह सब गडढे माया हैं. यह सारी समस्याएं माया है। जिन लोगों ने इस देश के जी वन की सारी स्थिति को माया कहा है उन्होंने समस्या को हल करने में कोई भी सा थ नहीं दिया, समस्या को भुलाने में सहयोग दिया है।
जीवन की समस्याएं बहूत वास्तविक हैं। आकाश के तारों से कम वास्तविक नहीं हैं जीवन के रास्ते कुएं और गड्ढे और आंखों से कम वास्तविक नहीं है पैर। आंखें तो सपना भी देखती हैं और झूठ में उतर जाती हैं पैर कभी सपना नहीं देखते और जब भी चलते हैं ठोस जमीन पर ही चलते हैं।
इस छोटी-सी कहानी से मैं अपनी इन तीन दिनों की बात शुरू करना चहता हूं। क्यों कि मेरे देखे समस्याएं संसार की हैं और भारत की जो प्रतिभा है, भारत की जो or द्धमत्ता है वह मोक्ष की तरफ झुकी हुई है। समस्याएं सभी की हैं और भारत की जो प्रतिभा है वह आत्मा से नीचे वात नहीं करती। समस्याएं जीवन की हैं और भारत की प्रतिभा कहती है जीवन माया है इनोसंट है। समस्याएं यहां की है और भारत की प्रतिभा वहां दूर आकाश की तरफ देखती रहती है। इस भांति हमारी समस्याएं भी इकट्ठी होती गई हैं हमने कोई समस्या हल नहीं की और हमारी प्रतिभा भी विक सित होती गई है। यह दोनों अद्भुत घटनाएं एक साथ घट गई हैं। प्रतिभा भी विका सत नहीं हैं हमने वूद्ध और महावीर जैसे प्रतिभाशाली लोग पैदा किए है और भारत जैसा गरीब भुखमरा और वीरहीन देश भी पैदा किया।
एक तरफ प्रतिभा भी पैदा होती चली गई और दूसरी तरफ हमारी समस्याएं भी इ कट्ठी होती चली गईं। हमारी प्रतिभा और हमारी समस्याओं में कोई तालमेल भी नह । हमारी जिंदगी कहीं और है और हमारा मन कहीं और है। हमारा बुद्धिमान आद मी बातें कुछ और करता है और जीता कहीं और है। हमारे जीने में और हमारे वि चार में एक नियादि द्वत्व, एक विरोध पैदा हो गया है। हमारा विचार एक तरफ चलता है हमारा जीवन दूसरी तरफ चलता है। हमारा विचार और हमारा जीवन ए क दूसरे की तरफ पीठ किए हुए है। इसलिए विचार भी विकसित हो जाता है और जीवन अविकसत रह जाता है।
भारत की समस्याओं में पहली समस्या यही है कि हमारे विचार और हमारे जीवन में कोई ताल-मेल नहीं है। हमारा जीवन वैसा ही जीवन है जैसा पृथ्वी पर किसी औ
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