SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 137
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ भारत की खोज ओशो—ना, ना कारण और भी हैं। एक कारण और भी हैं वह जो लड़कियां कमा र ही हैं, वह जो लड़कियां कमा रही है वह सिर्फ प्रतीक्षा कर रही हैं कि कब उनको पति मिल जाएं और वह कमाना छोड़ दें । वाचक- नहीं शादी की हुई लड़कियां शादी की हुई लड़कियां जैसे ही कमाती हैं, तो उन लड़कियों में और जो पत्नियां न हीं कमा रहीं हैं बुनियादी फर्क पड़ जाएगा। फर्क पड़ेगा। उनके पास बल हो जाएगा, यानि वह अकेली खड़ी हो सकती हैं । इतनी हिम्मत हो जाएगी, वह पति पर बिल कुल निर्भर नहीं हैं। एक बात दूसरा उनका पूरा माईंड जो अब तक सिखाया गया है स्त्रियों को कहा है कि पुरुष तो है वृक्ष की भांति और स्त्री है लता की भांति वह उसके सहारे ही खड़ी हो सकती है। गिर जाएगी तो जमीन पर पड़ जाएगी। बिलकु ल झूठी बात है पुरुष ने सिखाई है। इससे कोई मतलब नहीं है। इससे कोई भी मत लब नहीं है . वाचक- आगे यह हो सकता है कि ओशो-. कर सकती हैं। यह कर सकती है यह रिवेन्ज हो सकता है। यह संभाव ना है। यह संभावना है क्योंकि जैसे जैसे टैक्नोलोजी विकसित होगी ताकत बेमानी हो जाएगी। जैसे मैं दौड़ एक स्त्री मेरे साथ दौड़ेगी, तो मैं काफी तेजी से दौडूंगा वह उतनी तेज नहीं दौड़ सकती। लेकिन एक स्त्री ड्राइव कर रही है मैं ड्राइव कर रहा हूं, यह बेमानी हो गई बात तो मेरे पुरुष होने की वजह से में ज्यादा तेजी से ड्राइव नहीं कर लूंगा, मोटर की टैक्नोलोजी ने दौड़ने में आपको दोनों को बराबर कर दि या। आप मेरा मतलब समझे ना। सब मामलों में टैक्नोलोजी विकसित होती चली जा एगी, और टैक्नोलोजी की वजह से ताकत का जो फर्क था वह क्षीण होता चला जा एगा। चाहे पु अब एक आदमी कुल्हाड़ी चला रहा है कोई स्त्री नहीं चला सकती उतनी कुल्हाड़ी । या चलाएगी तो पांच मिनट में थक जाएगी, वह दो घंटे चलाएगा तो वह सुपीरियर हो गया। लेकिन अब बिजली की आरा मशीन चल रही है, बटन दबाना रुप दवाए चाहे स्त्री दवाए, इससे कोई फर्क नहीं पड़ता। वह आरा मशीन पूछती नह कि किसने दवाया। लेकिन कुल्हाड़ी पूछती है कि तुम पुरुष हो कि स्त्री । . ना। टैक्नोलोजी के विकास ने ताकत की बात खत्म कर दी । अब ताकत बेमानी है। इस लए ताकत का वहां कोई सवाल नहीं है अब। अब कोई ताकत से नहीं डरवा सकता किसी को । तो वह तो एक आधार छूट गया है अर्थ का एक आधार रह गया है एक और दूसे माईंड का रह गया है। सबसे गहरे में। स्त्री जो है उसको इतने दिन तक यह सिखाय ा गया है कि तुम निर्भर ही सुखी रह सकती हो। जब तुम बच्ची हो तो बाप पर नि र्भर रहो, जवान हो तो पति पर निर्भर रहो, बूढ़ी हो जोओ तो बेटे पर निर्भर हो ज ओ। यह सिखाया पुरुष ने, पूरी फिलोसफी पुरुषों ने खड़ी की है । और पूरे टीचर्स पु Page 137 of 150. http://www.oshoworld.com
SR No.100003
Book TitleBharat ki Khoj
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherOsho Rajnish
Publication Year
Total Pages150
LanguageHindi
ClassificationInterfaith & Interfaith
File Size1 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy