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भारत की खोज
घुट
हम उनके सामने खड़े नहीं हो सकते। हमारा प्रथम कोटि का विचारक तो भागता है प्रथम कोटि के विचारक अगर दो-चार भाग जाएं तो सब कुछ गड़बड़ हो जाता है । शायद आप को पता नहीं होगा हो सकता था एक आदमी आइनस्टीन जर्मनी से न भगाया गया होता तो शायद दुनिया का इतिहास दूसरा होता । एक आइनस्टीन को जर्मनी से भगा देने का परिणाम यह हुआ की जो एटमबम जर्मनी में बन सकता था वह अमेरिका में बना। सारे दुनिया का इतिहास अब और ही होगा। अगर हिटलर ज ळीतता और जापान और जर्मनी जीतते तो दुनिया का इतिहास बिलकुल दूसरा होता हम कल्पना ही नहीं कर सकते की दुनिया का नक्शा कैसा होता आज ? लेकिन एक विचारक एक प्रथम कोटि की प्रतिभा का जर्मनी से भागना सारे इतिहास को बदलने का कारण हो गया । वह आदमी अमेरिका पहुंच गया । वह जो एटमी शोध जर्मनी में चलती थी वह अमेरिका में जाकर पूरी हुई और उसी एटम ने ने टिकवा दिए जापान के और जर्मनी के। वह एटम जर्मनी में भी बन सकता था। सर्फ एक आदमी के भाग जाने के कारण अब दुनिया का इतिहास बिलकुल दूसरा हो गा। हिंदुस्तान से कितने प्रथम कोटि के लोग भाग गए हैं इसका हमें पता हैं । हम ए क भी आइनस्टीन पैदा नहीं कर सके, एक भी न्यूनटन पैदा नहीं कर सके। हमारे पास प्रतिभाओं की कमी नहीं थी कोई बुद्ध महावीर, या शंकर या नागाअर्जुन के पास कम प्रतिभा नहीं हैं। लेकिन प्रतिभा की दिशा भागने की हैं, प्रतिभा की दि शा जीवन से जूझने की नहीं, जीवन को बदलने और संघर्ष करने की नहीं हैं, आंख बंद कर लेने की खो जाने की हैं। शायद हम दुनिया में सबसे ज्यादा बड़ा वैज्ञानिक समाज पैदा कर सकते थे। लेकिन यह नहीं हो सका। क्योंकि विज्ञान वहां पैदा होता है जो जिंदगी को यथार्थ मानते हैं जो जिंदगी को अयथार्थ मानते हैं अनरीयल मानते हैं वहां विज्ञान पैदा नहीं होता। साईंस का मतलब यह है कि जिंदगी सत्य है और उस सत्य के हमें भीतर प्रवेश करना है। जिंदगी के सत्य में प्रवेश करने की कला क नाम साईंस है लेकिन जिंदगी असत्य हैं।
तो प्रवेश करने का सवाल नहीं इसलिए भारत में साईंस पैदा नहीं हो सकी है। भार त में आज भी साईंस पैदा नहीं हो रही । आप कहेंगे की मैं यह क्या बात कह रहा हूं? हमारे न मालूम की कितने बच्चे विज्ञान पढ़ रहे हैं, विज्ञान के ग्रेजुएट हो रहे
एम॰ एसी॰ हो रहे हैं, डी० एसी ० हो रहे हैं। हिंदुस्तान में न मालूम कितने ल ोग विज्ञान का अध्ययन कर रहें हैं कितने वैज्ञानिक पैदा हो रहे हैं और मैं कहता हूं कि— हिंदुस्तान में विज्ञान अभी भी पैदा नहीं हो रहा और मैं कुछ कारण से कहता हूं बहुत सोच के कहता हूं। हिंदुस्तान में विज्ञान तब तक पैदा नहीं होगा जब तक हिंदुस्तान का फिलसफा हिंदुस्तान के जीवन की फिलासफी नहीं बदलती। हिंदुस्तान में वैज्ञानिक शिक्षण हो रहा हैं ट्रेनिंग हो रही हैं हिंदुस्तान में टैक्नोलौजी स मझाई जा रहीं हैं। बच्चे साईंस पढ़ रहे है लेकिन फिर भी उनका माईंड साईंटीफीक नहीं हैं।
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