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________________ भारत की खोज खून वह रहा है यह भी असत्य है यह मैं पकड़ कर बैठा हूं यह भी असत्य है यह आप ने पत्थर मारा यह भी असत्य है सभी कुछ असत्य है। सभी कुछ असत्य सिद्ध किया जा सकता है लेकिन उससे हल क्या होता है ? उससे जदगी कहां बदलती है जिंदगी वैसी की वैसी चली जाती है। गरीबी, गरीबी की जग ह होगी, बीमारी, बीमारी की जगह होगी, दुख, दुख की जगह होगा, समस्या, समस् या की जगह होगी जिंदगी को असत्य कहने से हल क्या होगा ? सवाल यह है जिंदग श्री को असत्य कहने से समाधान क्या है जिंदगी को असत्य कहने से सिर्फ एक समाधा न है और वह यह है की मैं आंख बंद कर लूं जो असत्य है, भूल जाऊं उसे जो अस त्य है, खयाल छोड़ दूं उसका जो असत्य है लेकिन तब भी क्या फर्क होगा मेंरे आंख बंद करने से भी गरीब, गरीब होगा, बीमार, बीमार होगा समस्याएं अपनी जगह ह ोंगी। भारत ने असत्य कहेकर कुछ भी हल नहीं कीया और इसी लिए तो भारत पर दुश्मन आए भारत पराजित हुआ गुलाम बना । और भारत का साधु संन्यास यह सब माया है यह सब संसार है यह सब चलता रह ता है भारत दुश्मनों की शान में हारा उस हार में भारत की कमजोरी नहीं थी भार त की फिलोसफी थी, भारत का दर्शन था जब सभी असत्य है तो हार भी असत्य है जीत भी असत्य है। कौन जीतता है, कौन हारता है ? कोई फर्क नहीं है। कौन दि ल्ली के सिंहासन पर बैठता है ? कोई फर्क नहीं हैं। कौन राज्य करता हैं कौन पराजि ナ त होता है, कौन शोशक है, कौन शौक्षित है? कोई फर्क नहीं है । भारत में जो जीवन दर्शन सिद्ध किया हैं । जगत को माया बताने वाला उस जगत क माया बताने वाले भीतर की दृष्टि ने ही भारत को हजारों साल तक गुलाम रखा । वह दृष्टि अब भी मौजूद है उस दृष्टि के कारण हम जिंदगी की सभी समस्याओं को अस्वीकार कर देने में समर्थ हो गए। जो भी हुआ हमने अस्वीकार कर दिया की स व असत्य है। हमें एक तरकीब हाथ लग गई। एक ऐसी तरकीब हाथ लग गई जिस सें हम हर चीज को इंकार कर सकते हैं और इंकार कर देना हमेशा आसान होता है। क्योंकि स्वीकार करना . करना पड़ता है इंकार करने में कुछ भी नहीं करन ा पड़ता। स्वीकार करने पर श्रम करना पड़ेगा बदलने की चेष्टा करनी पड़ेगी, बदलने के ऊपाए खोजने पड़ेंगे। कौन उठाए यह झंझट ? भारत की प्रतिभा ने झंझट उठाने से इंकार कर दिया है इस लिए भारत का प्रतिभाशाली आदमी जंगल भाग जाता है वह कहता है कौन उठाए यह झंझट ? दुनिया के प्रतिभाशाली लोग झंझट को बदलने की कोशिश करते हैं। भा रत का प्रतिभाशाली जंगल भाग जाता है वह कहता है कौन उठाए यह झंझट । भारत की प्रथम कोटि की जो प्रतिभा है वह जंगल चली जाती है द्वितीय और तृती य कोटि की प्रतिभा संसार को चलाती हैं। दुनिया के दूसरे मुल्कों की प्रथम कोटि क प्रतिभा जीवन को चलाती हैं। इसलिए हम दुनिया के किसी भी मुल्क का मुकावला नहीं कर सकते हमेशा पिछड़ते चले जाएंगे। उन का फस्ट रेड माईंड दुनिया को च लता है हमारा सैकिंड रेड और थंड रेड माइंड दुनिया को चलता है। Page 12 of 150 http://www.oshoworld.com
SR No.100003
Book TitleBharat ki Khoj
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherOsho Rajnish
Publication Year
Total Pages150
LanguageHindi
ClassificationInterfaith & Interfaith
File Size1 MB
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