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________________ भारत की खोज काली मनुष्यता के बोर्ड के ऊपर नहीं तो दिखाई नहीं पड़ेंगे। कैसे दिखाई पड़ेंगे? मह पुरुष होंगे, लेकिन दिखाई नहीं पड़ेंगे। अगर दुनिया अच्छी होगी तो महावीर, बुद्ध ऐसे लोग खो जाएंगे। इनका पता नहीं चलेगा कि कहां हैं। लेकिन आदमी की काली तख्ती का लम्बा फैलाव उस ब्लैकबोर्ड पर कभी किसी महावीर के हस्ताक्षर सफेद खड़िया में हो जाते हैं, हजारों साल बीत जाते हैं। और हम उन्हें देखते रहते हैं क्योंकि वह दिखाई पड़ते हैं क्योंकि उन हस्त ाक्षरों पर भी नए हस्ताक्षर करने वाले नहीं आते कि वह दब जाएं वह दिखाई ही प. डते रहते हैं। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि महापुरुष इतने कम हैं कि उंगलियों पर गिने जा सकते हैं। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि एक-एक महापुरुष को दो-दो, हजार साल तक याद रखना पड़ता है। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि महामनुष्यता नहीं है इसलिए महापुरुष पैदा होते हैं महापुरुष दिखाई पड़ते हैं। महापुरुष तो पैदा होते रहेंगे। लेकिन दिखाई नहीं पड़ने चाहिए। इतनी अच्छी आदमियत को जन्म देना जरूरी है । मैं कहता हूं कि, 'अच्छे-अच्छे लोग हुए हैं। अच्छा-अच्छा समाज आगे होगा। और अ च्छे समाज पर ध्यान देना जरूरी हो गया है। अच्छे लोगों पर ध्यान देने से कुछ भी नहीं हुआ। एक आदमी अच्छा हो जाए इससे क्या होता है, पूना में, अगर पांच लाख आदमी और एक आदमी स्वस्थ हो जाएं तो ठीक है लेकिन क्या होगा, पांच लाख आदमी बीमार हैं और एक आदमी स्वस्थ है। इसका स्वास्थ्य भी पांच लाख लोगों की बीमारी में सुंदर नहीं मालूम होगा। इसका स्वस्थ होना भी एक दुर्घटना मालूम होगी एक एक्सीडेंट मालूम होगा। होना ऐसा चाहिए कि पांच लाख लोग स्वस्थ हों कभी कोई एक आद आदमी अस्वस्थ हो जाए । होना यह चाहिए कि दुनिया में जो बुरे अ आदमी पैदा हों उनका नाम हम उंगलियों पर गिन सकें। अच्छा आदमी आम बात हो बुरा आदमी मुश्किल हो जाएं, वह कभी पैदा हो तो हम याद रख सकें कि फलां आ दमी पैदा हुआ था दो हजार साल पहले। जब तक हम अच्छे आदमियों को याद रखते हैं, तब तक समझ लेना कि समाज र ा है। जिस दिन समाज अच्छा होगा बुरे आदमी की याद रहेगी, अच्छे आदमी का क कोई हिसाब नहीं रखेगा। ऐसा समाज भविष्य में हो सकता है। ऐसा समाज अतीत में नहीं था। इसलिए मैं. . इसलिए मैं कह रहा हूं कि अतीत से मुक्त होकर निरंतरनिरंतर भविष्य की तरफ गति जरूरी है । एक मित्र ने पूछा है कि, 'मैं कहता हूं कि भारत में पांच हजार सालों में कुछ भी नया नहीं सोचा तो उन्होंने एक आद दो उदाहरण दिए हैं कि गांधी जी ने नानकोओ परेशन, असहयोग का आंदोलन, नया सोचा, रामदास ने राष्ट्र धर्म की धारणा नई स ोची । फिर वह मेरी बात नहीं समझ पाए। यह ऐसा ही जैसे कोई मरुस्थल में जाकर क हे कि मरुस्थल में पानी बिलकुल नहीं है और एक पागल आ जाए और कहे कि, 'च लिए! मैं दिखाता हूं। एक जगह छोटे-से डिब्बे में पानी पड़ा हुआ है। हम गलत कह ते हैं आपकी बात को और इस डिब्बे में पानी भरा हुआ है यह रहा । और आप कह Page 113 of 150. http://www.oshoworld.com
SR No.100003
Book TitleBharat ki Khoj
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherOsho Rajnish
Publication Year
Total Pages150
LanguageHindi
ClassificationInterfaith & Interfaith
File Size1 MB
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