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भारत का भविष्य
लोग आते हैं वे इंप्लीमेंट करते हैं। लेनिन ने इंप्लीमेंटेशन किया और उससे भी ज्यादा स्टैलिन ने किया। मार्क्स ने कुछ इंप्लीमेंटेशन किया नहीं, कर सकता नहीं।
(प्रश्न का ध्वनि-मुद्रण स्पष्ट नहीं।)
कुछ भी नहीं। कुछ भी नहीं।
फर्स्ट इंटरनेशनल.../
हां, यह तो ठीक है न, यह सब ठीक है। फर्स्ट इंटरनेशनल भी जो है वह भी फिलासफिकल मूवमेंट है मार्क्स के लिए।
लेकिन सबको उसकी जरूरत है।
जरूर! मैं तो उसके लिए, मैं तो जीवन जागृति केंद्र और युवक क्रांति, दोनों को, सब खड़े करता हूं। वह मैं खड़े करता हूं। लेकिन मार्क्स की दृष्टि में और मार्क्स के समय में फर्स्ट इंटरनेशनल जो है वह एक फिलासफिकल मूवमेंट है। वह एक मूवमेंट है कम्युनिज्म की विचारधारा को पहुंचाने का। इंप्लीमेंटेशन बहुत पीछे आता है। कई दफा तो हजारों वर्ष बाद इंप्लीमेंटेशन आता है। इंप्लीमेंटेशन तो उतना महत्वपूर्ण भी नहीं है। एक दफा साइंटिफिक दृष्टि साफ हो जाए तो इंप्लीमेंटेशन आ जाएगा। उसकी कोई चिंता की बात नहीं है।
अच्छा, वह मूल दृष्टि। तो आपके ख्याल से अभी फिलासफिकल मूवमेंट करनी चाहिए। और दूसरी कोई एक्टिविटी की जरूरत नहीं है।
न-न, यह मैं नहीं कहता कि जरूरत नहीं है। जिनको जरूरत लगती है वे कर रहे हैं। मैं नहीं कर रहा हूं।
वह बहुत तेजी से निकली। आज जो दूसरी जो कि पोलिटिकल रह गई, समझ लीजिए सोशिएल है। वह कौनसा तेजी से करना चाहिए। आपने बताया कि डमोक्रेसी एक्जेस्टीड हई है। तो यह पोलिटिकल एक्टिविटी में जो लोग आपके ख्याल से साथ हैं, वे जो खड़े हैं, उनको आप क्या कहेंगे?
उनको मैं जो कह रहा हूं, उनको जो मैं कह रहा हूं, मेरी बात जो वे समझ रहे हैं...।
अब वे बीच में तो नहीं रहेंगे, धरती पर उतरेंगे।
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