SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 98
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ भारत का भविष्य एज ए ह्यूमन बीइंग, एज ए ह्यूमन बीइंग। एज ए ह्यूमन बीइंग में गांधी को पसंद करता हं मार्क्स को पसंद नहीं करता। मार्क्स के पास मुझे कोई कीमती व्यक्तित्व नहीं मालूम पड़ता। कोई पर्सनैलिटी नहीं मालूम पड़ती। जिसको कि जिसको हम व्यक्ति की तरह आदर दे सकें। लेकिन मार्क्सइज्म को मैं गांधीइज्म से पसंद करता हूं। क्योंकि मार्क्सइज्म की जो दृष्टि है वैज्ञानिक है। जीवन को बदलने के लिए ज्यादा मूलभूत है। तो मैं दुनिया ऐसी चाहूंगा, जहां गांधी जैसे आदमी हों और मार्क्स जैसा समाज हो। मार्क्स के व्यक्तित्व में मुझे बहुत ही साधारण आदमी मालूम पड़ता है। फ्रायड का व्यक्तित्व इतना साधारण है जिसका हिसाब नहीं। लेकिन फ्रायड ने जो कहा है, जो खोज की, वह बहत असाधारण है। तो एज ए ह्यमन बीइंग, मैं गांधी की जितनी तारीफ कर सकू, उतना करता हूं। लेकिन गांधी की जो दृष्टि है समाज के मसले के पक्ष में वह दृष्टि मुझे वैज्ञानिक नहीं मालूम पड़ती, उसका मैं विरोध करता हूं। इसलिए गांधीइज्म में और गांधी में मैं फर्क कर लेता हूं। लेकिन गांधी ने तो कहा था कि मुझे भूल जाओ, मेरे विचार को याद करो। हां, गांधी ने यह कहा था। और मैं यह कहता हूं कि गांधी को मत भूलना, गांधी के विचार को भूल जाओ। क्योंकि मुझे लगता है, गांधी बहुत मूल्यवान हैं और विचार कुछ मूल्य का नहीं। (प्रश्न का ध्वनि-मुद्रण स्पष्ट नहीं।) ठीक बात है। ठीक है। असल में चेंज ही करना हो तो मार्क्स को भी एक फिलासफी एड करनी पड़ती है। चेंज करना हो तो भी। बट इज़ युवर पार्लियामेंट स्कीम...। मेरा मतलब नहीं समझे आप। मार्क्स को भी अगर चेंज करनी हो दुनिया, तो भी एक नई फिलासफी एड करनी पड़ती है। क्योंकि उस फिलासफी के प्रभाव में ही वह चेंज होगी। (प्रश्न का ध्वनि-मुद्रण स्पष्ट नहीं।) मार्क्स ने कुछ इंप्लीमेंट करने के लिए नहीं किया। मार्क्स को फुर्सत भी नहीं थी। मैं आपको कहूं, मार्क्स को कल्पना भी नहीं थी और फुर्सत भी न थी। और मार्क्स ने इंप्लीमेंटेशन के लिए कुछ भी नहीं किया। इंप्लीमेंटेशन पचास साल बाद होना शुरू हुआ। और बिलकुल दूसरे लोगों ने किया। और मेरी अपनी समझ यह है कि आज तक दुनिया में कोई फिलासफर इंप्लीमेंटेशन कभी नहीं किया है। वह दृष्टि दे सकता है, इंप्लीमेंटेशन करने वाले Page 98 of 197 http://www.oshoworld.com
SR No.100002
Book TitleBharat ka Bhavishya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherOsho Rajnish
Publication Year
Total Pages197
LanguageHindi
ClassificationInterfaith & Interfaith
File Size2 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy