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भारत का भविष्य
और लोगों को बता देना चाहिए। वे भी यह सोचें, विचार करें। गांधी पर हम ठीक से सोचें और विचार करें तो शायद हम अपने मुल्क के लिए, आने वाले भविष्य के रास्ते बनाने में, देखने में, बहुत योग्यता से सफल हो सकेंगे। और यह ध्यान रहे कि गांधी पर सोचना महावीर और बुद्ध पर सोचने से ज्यादा कारगर सिद्ध होगा। क्योंकि महावीर और बुद्ध से हमारा फासला बहुत लंबा हो गया है। ढाई हजार साल का। गांधी से हमारा फासला बहुत कम है। बहुत निकट है। दूसरी बात, गांधी पर सोचना और भी उपयोगी है क्योंकि महावीर और बुद्ध ने समाज के जीवन को बदलने के लिए कोई विचार नहीं किया। उन्होंने व्यक्ति को शांति, ध्यान, मोक्ष तक ले जाने की विज्ञान को खोजा। लेकिन समाज के ढांचे को बदलने की कोई बात नहीं सोची। गांधी हिंदुस्तान में, पहले इतनी ऊंची कोटि के विचारक हैं जिन्होंने समाज के मोक्ष के लिए भी विचार किया है। इसलिए गांधी पर विचार करना बहुत जरूरी है।
और स्वभावतः क्योंकि गांधी पहले आदमी हैं, एक माइलस्टोन हैं। हिंदुस्तान में गांधी के पीछे का इतिहास, हिंदुस्तान के साधु और संन्यासी का समाज से भागने का इतिहास है। गांधी हिंदुस्तान के पहले साधु हैं जो समाज से नहीं भागे और समाज में खड़े होकर समाज को बदलने की कोशिश की। पहले आदमी से भूल-चूक होना संभव है। पहला आदमी पायोनियर है। पहला आदमी एक नया रास्ता तोड़ता है। वह परिपूर्ण बातें नहीं कह सकता। परिपूर्ण बातें तो अंतिम आदमी भी नहीं कह सकता है। और गांधी हिंदुस्तान में एक नई दृष्टि के पहले उदघाटक हैं। इसलिए बहत भूल की संभावनाएं हैं। अगर हम इन पर विचार नहीं करेंगे तो हम अपना ही आत्मघात करने में सहयोगी होंगे।
मेरी ये थोड़ी सी बातें आपने इतने प्रेम और शांति से सुनी, उसके लिए बहुत अनुगृहीत हूं। कल सुबह आपके प्रश्नों के उत्तर दूंगा। जो कुछ आपको इस संबंध में प्रश्न हों आज सुबह और आज सांझ की चर्चा में वह सुबह आप लिख कर दे देंगे, ताकि उनकी बात हो सके। परमात्मा को, आपके भीतर बैठे परमात्मा को, अंत में प्रणाम करता है, मेरे प्रणाम स्वीकार करें। छठवां प्रवचन भारत का भविष्य (प्रांरभ का मैटर उपलब्ध नहीं।)...और दो बच्चे के बाद अनिवार्य आपरेशन। समझाने-बुझाने का सवाल नहीं है यह। जैसे हम नहीं समझाते हैं हत्यारे को कि तुम हत्या मत करो, हत्या करना बुरा है। हम कहते हैं, हत्या करना कानूनन बंद है। हत्या से भी ज्यादा खतरनाक आज संख्या बढ़ाना है। तो एक तो अनिवार्य संतति-नियमन। जो लोग बिलकल बच्चे पैदा न करे, उनको तनख्वाह में बढ़ती हुई सिनयारिटी, जो बिलकुल बच्चे पैदा न करे, एक भी बच्चा पैदा न करे, उनको इज्जत, सम्मान, उनको जितनी सुविधाएं दे सकते हैं उनको सुविधाएं दी जानी चाहिए।
व्हाट फार्म ऑफ गर्वमेंट, यू विज्युअलाइज फॉर दिस वन।
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