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________________ भारत का भविष्य नया चर्च ठीक पुराने जैसा बनाना है। पुरानी ही दीवाल की आधार पर नये चर्च की दीवाल उठानी है। पुरानी नींव पर। पुराने ही द्वार-दरवाजे लगाने हैं, खिड़कियां लगानी हैं, पुराने ही चर्च की इटों से नई दीवालें चुननी हैं, पुराने ही सामान से बिलकुल पुराने जैसा ही नया चर्च बनाना है । यह तीसरा प्रस्ताव उन्होंने स्वीकार किया। और फिर चौथा प्रस्ताव स्वीकार किया और वह यह कि जब तक नया चर्च न बन जाए तब तक पुराना गिराना नहीं है। तो इसको भी सर्वसम्मति से स्वीकृति दे दी ! वह चर्च अभी भी खड़ा हुआ है । वह चर्च कैसे गिरेगा? वह कभी भी गिरने वाला नहीं है। भारत की जीवन का मंदिर, समाज का मंदिर बहुत पुराना हो गया । यह चर्च बहुत पुराना गया। यह बहुत जरा - जीर्ण हो गया । इसके नींव हजारों साल पहले मनु ने, याज्ञवल्क्य ने, करोड़ों ... कितने-कितने समय पीछे उन्होंने इसकी नींव रखी थी। वह उसी नींव पर समाज खड़ा है। राम ने, कृष्ण ने, बुद्ध ने इसकी दीवालें चूनी थीं हजारों साल पहले, वे दीवालें वही की वही हैं। मकान बहुत पुराना हो गया। बनाने वाले होशियार रहे होंगे कि उनके बेटे इतने दिन से बनाने का काम बंद किए हुए हैं, तो भी किसी तरह काम चल जाता। लेकिन मकान बिलकुल पुराना हो गया। उसमें जीना असंभव हुआ जा रहा है। समाज की सारी की सारी रचना, सारी व्यवस्था जरा-जीर्ण हो गई। उसके भीतर मरना आसान जीना कठिन है। लेकिन हम जीए चले जा रहे हैं, क्योंकि हम पुराने के बड़े प्रेमी हैं, हम पुराने के बड़े भक्त हैं, हम पुराने के प्रति बड़े श्रद्धालु हैं। कभी आपने सोचा, छोटे बच्चे हमेशा भविष्य की तरफ देखते हैं, उनके पास कोई अतीत नहीं होता, उनके पास पीछे देखने को कोई उपाय नहीं होता, वे हमेशा आगे की तरफ देखते हैं, बूढ़े, बूढ़े सदा पीछे की तरफ देखते हैं। उनके आगे कुछ भी नहीं होता सिवाय मौत के । मौत देखने जैसी नहीं। पीछे लौट कर देखते रहते हैं। बचपन, जवानी, बीती हुई कहानियां, बीते हुए किस्से वे सब चलते रहते हैं उनके दिमाग में। जब कोई कौम पीछे की तरफ ही देखती रहती है, तो सचेत हो जाना चाहिए उस कौम के प्राण बूढ़े हो गए हैं। वह कौम मरने के करीब पहुंच गई है। अगर वह कौम भविष्य की तरफ देखना शुरू नहीं करती तो बहुत जल्दी मर जाएगी। गांधी को राम से बहुत प्रेम था। राम बड़े प्यारे आदमी, उसी प्रेम के पीछे उन्होंने राम-राज्य की कल्पना गढ़ ली। वह कल्पना ठीक नहीं है। राम-राज्य पुरानी व्यवस्था है। भविष्य की व्यवस्था नहीं, अतीत की व्यवस्था है । राम- राज्य पूंजीवाद से भी पिछड़ी हुई व्यवस्था है, सामंतवाद की, सुडोलिज्म की व्यवस्था है। राम-राज्य में लौटना नहीं है हमें, राम बहुत प्यारे आदमी थे वह ठीक है, लेकिन राम-राज्य बहुत पुरानी व्यवस्था है। राम को हम स्मरण कर लें वह ठीक, राम को हम आदर दे दें वह ठीक, लेकिन राम-राज्य नहीं चाहिए। राम-राज्य तो आज की अवस्था से भी बदतर अवस्था है। हमें चाहिए भविष्य का राज्य, हमें चाहिए पूंजीवाद से आगे का राज्य, हमें पीछे नहीं लौटना, हमें आगे जाना है। लेकिन पीछे लौटने का मोह हमारे मन में होता है कई कारणों से। एक तो कारण यह होता है कि पीछे का सब कुछ परिचित होता है, जाना-माना मालूम होता है । जानी-मानी चीज में घबड़ाहट कम होती है, सिक्योरिटी Page 86 of 197 http://www.oshoworld.com
SR No.100002
Book TitleBharat ka Bhavishya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherOsho Rajnish
Publication Year
Total Pages197
LanguageHindi
ClassificationInterfaith & Interfaith
File Size2 MB
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