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________________ भारत का भविष्य मुल्क में दस करोड़ लोगों को किसी अकाल में मरना पड़ा, तो बाकी जो लोग बचेंगे वे भी जिंदा हालत में नहीं बचेंगे। वे भी मरने की हालत में ही बचेंगे। उनका बचना बचने से भी बदतर होगा। उनका बचना शायद मरे हुए लोगों से भी ज्यादा कठिन और दूभर हो जाएगा। लेकिन क्या कारण हैं कि सारी जमीन पर धन बरस रहा है और हम गरीब होते चले जा रहे हैं? आज अमेरिका में धन बरस रहा है, और अमेरिका की कुल उम्र तीन सौ साल की है। अमेरिका में जो समाज है आज वह तीन सौ साल पुराना है और हमारी उम्र कम से कम दस हजार साल पुरानी है। हम दस हजार साल पुरानी सभ्यता और तीन सौ साल पुरानी सभ्यता के सामने हाथ जोड़ कर भीख मांगते हुए खड़े हैं। न हमें शर्म आती, न हमें चिंता पैदा होती, न हमें घबड़ाहट होती, न हमें ऐसा लगता कि हम ये क्या कर रहे हैं! दुनिया में भिखारी तो सदा रहे हैं, लेकिन कोई पूरा देश भिखारी हो सकता है इसका उदाहरण हमने पहली बार उपस्थित किया है। आज हर चीज की हमें भीख चाहिए। इस भीख के बिना हम जी नहीं सकते। यह कब तक चलेगा? यह कैसे चल सकता है? यह तब तक चलता ही रहेगा जब तक भविष्य को निर्मित करने की हमारे पास कोई दृष्टि नहीं है, कोई फिलासफी नहीं है। जिसमें हम भविष्य को बनाने के लिए आतुर हो जाएं। हम सिर्फ पीछे की बातें करते रहेंगे तो भविष्य को निर्मित कौन करेगा? हम सिर्फ गुणगान करते रहेंगे अतीत का, तो भविष्य के लिए श्रम कौन करेगा? तो मैं युवा आदमी का पहला लक्षण मानता हूं भविष्य के लिए उन्मुखता और बूढ़े आदमी का लक्षण मानता हूं अतीत के प्रति लगाव। जिस आदमी के मन में भी भविष्य के प्रति लगाव है उसकी उम्र कुछ भी हो, वह जवान है और जिस आदमी के मन में भविष्य की कोई कल्पना ही नहीं है और सिर्फ अतीत का गुणगान है उसकी उम्र कुछ भी हो वह बढ़ा है। तो मैं यह आपसे कहना चाहंगा कि भारत में अभी भी जवान आदमी बहुत कम हैं। एक दूसरी बात भी आपसे कहना चाहूंगा, बूढ़ा आदमी मृत्यु से भयभीत होता है। स्वभावतः मौत करीब आती है तो बूढ़ा आदमी मृत्यु से डरने लगता है। जवान आदमी का लक्षण एक ही है कि वह मौत से घबडाता न हो। अगर जवान आदमी भी मौत से घबडाता हो तो उसका Page 7 of 197 http://www.oshoworld.com
SR No.100002
Book TitleBharat ka Bhavishya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherOsho Rajnish
Publication Year
Total Pages197
LanguageHindi
ClassificationInterfaith & Interfaith
File Size2 MB
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