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________________ भारत का भविष्य यह मामला ऐसा है कि पूरा मुल्क कोई आसमान में बैठी हुई चीज नहीं, हम सब हैं। और जब हम यह कहते हैं कि पहले हमें रोटी-रोजी-कपड़ा चाहिए तो हम यह कह रहे हैं जैसे हमें रोटी-रोजी-कपड़ा देने के लिए कोई आसमान से उतरेगा। नहीं। हिंदुस्तान के इंजीनियर को समझ लेना चाहिए कि उसको बिना रोटी-रोजी-कपड़े के रोटी-रोजी-कपड़ा खोजने की कोशिश करनी है। इसके सिवाय कोई उपाय नहीं है। और यह इंजीनियर का ही सवाल नहीं है, डाक्टर का भी यही है, शिक्षक का भी यही है, मजदूर का भी यही है। लेकिन मैं यह मानता हूं कि अगर बुद्धिमत्ता है आदमी के पास तो बुद्धिमत्ता का एक ही मतलब होता है कि जब जिंदगी चीजें नहीं दे पाती तो बुद्धि चीजों को पैदा करने की दिशा में फिर भी मार्ग खोज लेती है। हम सबकी आदत यह हो गई है जैसे किसी और की जिम्मेवारी है कि पूरा करे। लेकिन कौन जिम्मेवारी पूरा करेगा? और जब एक इंजीनियर को हम पढ़ाते हैं, लिखाते हैं, बीस या चौबीस साल की उम्र का उसे मुल्क कर देता है, तो ऐसा नहीं है कि उसे रोटी नहीं दी गई, कपड़े नहीं दिए गए, शिक्षा नहीं दी गई। उसको सब दिया गया है। चौबीस साल कुछ कम नहीं होते। उसको सारी शिक्षा दे दी गई है। अब हम उससे आशा करते हैं कि जहां कुछ भी नहीं है वहां वह कुछ पैदा करने की फिक्र करे। यह मैं जानता हूं कि समुद्र पर मकान बनाना हो तो नंगे खाली हाथ से नहीं बन जाएगा। लेकिन समुद्र पर मकान बनाने की योजना नंगे खाली हाथ भी बना सकते हैं। और अगर एक बार योजना बन जाए तो वे हाथ भी खोजे जा सकते हैं जो श्रम कर सकें और वे लोग भी खोजे जा सकते हैं जो पैसा दे सकें। जिस आदमी ने पहली दफा मोटर की डिजाइन बनाई उसके पास एक पैसा नहीं था और खाने को रोटी भी नहीं थी। और वह जिन लोगों के पास मोटर की डिजाइन लेकर गया, उन सबने कहा, तुम पागल हो। क्योंकि मोटर नहीं, कार कभी थी नहीं। जब उसने लोगों से कहा कि बिना घोड़े के और बिना बैल के यह गाड़ी चलेगी, तो उन्होंने कहा, तुम्हारा दिमाग खराब हो गया है। लेकिन वह आदमी घूमता रहा नंगा, भूखा और प्यासा। आखिर उसे एक आदमी मिल गया, जिसमें तैयार हो गया, उसने कहा कि एक प्रयोग कर लेने में कोई हर्ज नहीं है। तुम आदमी बुद्धिमान मालूम पड़ते हो, हालांकि काल्पनिक हो। सभी बुद्धिमान आदमी काल्पनिक होते हैं। लेकिन दुनिया से कल्पना में ही सृजन होता है। एक आदमी मिल गया जिसने पैसा लगाया। जिसने पैसा लगाया उसके घर के लोगों ने भी कहा कि तुम पागल तो नहीं हो! कहीं दुनिया में कभी कोई गाड़ी चली जिसमें हाथी, घोड़ा, बैल कोई भी न जुता हो! उसने कहा, अब तक तो नहीं चली है, लेकिन दुनिया में बहुत सी चीजें कल हो सकती हैं जो कल तक नहीं हुइ।। पैसे वाला भी मिल जाता है, हाथ से मजदूरी करने वाला भी मिल जाता है। एक बार हमारे सोचने का ढंग और एप्रोच बदलनी चाहिए। हम निरंतर यह सोचते हैं कि कोई पहले हमें दे। फिर मैं आपसे यह पूछता हूं, अगर यह सच है कि इंजीनियर को काम मिल जाए तो वह बहुत कुछ करेगा, जिनको काम मिल गया है वे क्या कर रहे हैं? जिनको नौकरी मिल गई है वे क्या कर रहे हैं? ऐसा तो नहीं है कि सभी इंजीनियर नौकरी के बाहर हैं। लाखों इंजीनियर नौकरी के Page 51 of 197 http://www.oshoworld.com
SR No.100002
Book TitleBharat ka Bhavishya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherOsho Rajnish
Publication Year
Total Pages197
LanguageHindi
ClassificationInterfaith & Interfaith
File Size2 MB
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