________________
भारत का भविष्य
सकते। लेकिन हम यह बात कहे चले जाएंगे कि हम कभी दनिया के गुरु थे। ध्यान रहे, जब कोई कौम यह बात करने लगती है, पास्ट टेंस में जब कोई कौम बोलने लगती है, तो समझ लेना कि वह दीन हो गई। जब कोई कहने लगे कि मैं अमीर था, तब समझ लेना कि वह गरीब हो गया है। और जब कोई कहने लगे कि मैं ज्ञानी था, तब समझ लेना कि वह अज्ञान में गिर गया है। और जब कोई कहने लगे कि कभी हमारी शान थी, तो समझ लेना कि शान मिट्टी में मिल चुकी है। ये सारी बातें जो हम गौरव की करते हैं हमारे धूलि में गिर जाने के अतिरिक्त और किसी बात का प्रमाण नहीं है। अतीत को देखना उपयोगी हो सकता है। लेकिन अतीत को आंख में रखना खतरनाक है। आंख में तो भविष्य होना चाहिए, आने वाला कल होना चाहिए। जो बीत गया कल वह बीत गया। उसकी धूल उड़ चुकी है। अब जमीन पर कहीं खोजने से उसे खोजा नहीं जा सकता। अब जिस रास्ते पर हम चल चके वह रास्ता समाप्त हो गया है। और उस रास्ते पर बने हुए चरण चिह्न अब कहीं भी नहीं खोजे जा सकते हैं। जिंदगी की कहानी आकाश में उड़ते हए पक्षियों की कहानी है। अगर हम किसी पक्षी का पीछा करें तो उसके पैरों के कोई चिह्न नहीं छूटते हैं कहीं भी, पक्षी उड़ जाता है पीछे आकाश खाली हो जाता है। जिंदगी में कहीं कोई चिह्न नहीं छूटते। जिंदगी में सब विस्मृत हो जाता है। जिंदगी तो प्रमाण मानती है आज को। आज हम क्या हैं? यही प्रमाण होता है। आज हम क्या हैं? अगर इसे सोचें तो दो-तीन बातें खयाल में आएंगी। हमसे ज्यादा गरीब आदमी आज पृथ्वी पर दूसरा नहीं है। हमसे ज्यादा अशिक्षित कोई कौम नहीं है। हमसे ज्यादा अवैज्ञानिक कोई जाति नहीं है। हमसे ज्यादा कमजोर, हमसे ज्यादा हीन, हमसे कम उम्र, हमसे ज्यादा बीमार आज जमीन पर कोई भी नहीं है। दूसरे मुल्कों की औसत उम्र अस्सी वर्ष को छ रही है। दूसरे मुल्कों में, आज रूस में सौ वर्ष के ऊपर हजारों बूढ़े, और डेढ़ सौ वर्ष के ऊपर भी कुछ बूढ़े हैं। सारी दुनिया में गरीबी विदा होने के करीब है और हमारी गरीबी रोज बढ़ती चली जाती है। जब पिछले बार बिहार में अकाल पड़ा, तो मेरे एक स्वीडिश मित्र ने मुझे एक पत्र लिखा और उसने लिखा कि हम अपने बच्चे को समझाने में बहुत असमर्थ हैं कि हिंदुस्तान में लोग भूखे मर रहे हैं। उसने मुझे लिखा कि जब मैं अपने छोटे बच्चे को कहा कि हिंदस्तान
Page 5 of 197
http://www.oshoworld.com