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भारत का भविष्य
अगर हम भविष्य में भीख मांगेंगे तो कोई मानने को राजी न होगा कि हमारे पास स्वर्ण की नगरियां थीं। और अगर भविष्य में हम सिर्फ गुंडे
और बदमाशों को पैदा करेंगे तो नानक पर कितने दिन तक भरोसा रह जाएगा कि यह आदमी हुआ था। यह बहुत ज्यादा दिन तक भरोसा नहीं रह जाएगा। इसलिए पीछे के अच्छे आदमियों को याद करना काफी नहीं है। अगर सच में ये अच्छे आदमी हुए हैं, हम ऐसा दुनिया को कहना चाहते हों, तो हमें इनसे भी बेहतर आदमी रोज पैदा करने होंगे। जो रोज ऊंचाइयां चढते हैं. वे ही गवाही दे सकते हैं कि उनके अतीत में भी उन्होंने ऊंचाइयां छुई होंगी। लेकिन अगर हम रोज गड्ढों में गिरते चले जाएं तो फिर दुनिया हमसे कहेगी कि अक्सर भिखमंगे सपने देखते हैं कि उनके बाप सम्राट थे। लेकिन ये सपनों से कुछ सिद्ध नहीं होता। इससे सिर्फ इतना ही सिद्ध होता है कि भिखमंगे कंसोलेशन खोज रहे हैं, सांत्वनाएं खोज रहे हैं, अपने मन को समझा रहे हैं। भूखा आदमी रात में सपना देखता है राजमहल में निमंत्रण मिलने का। लेकिन रात का सपना यह नहीं बताता कि राजमहल में निमंत्रण मिला। मनोवैज्ञानिक कहते हैं कि उससे इतना ही पता चलता है कि वह आदमी दिन में भूखा रहा है। हम जब अतीत की बहुत ज्यादा चर्चा करते हैं तो शक पैदा होता है। और जब हम पीछे के लोगों की बहत गौरव गरिमा की बात करते हैं तो शक पैदा होता है। क्योंकि दुनिया हमें देखती है। हम दुनिया को कहना चाहते हैं कि हम जगतगुरु थे। लेकिन आज दुनिया में एक भी ऐसी चीज नहीं है जो हम किसी को सिखा सकें। सारी चीजें हमें दूसरों से सीखनी पड़ रही हैं। यह जगतगुरु की नासमझी की बात बहुत दिन तक टिक नहीं सकेगी। और आज नहीं कल अगर दुनिया हमारा मजाक उड़ाने लगे और हमसे कहने लगे कि हम जगतगुरु होने का खयाल इसीलिए मन में पैदा कर लिए हैं क्योंकि हम सारे जगत के शिष्य हो गए हैं। और इस बात को भुलाने के लिए, अपने अहंकार को बचाने के लिए हम इस तरह की बातें कर रहे हैं, तो इसमें बहुत आश्चर्य न होगा। आज सूई से लेकर हवाई जहाज तक भी हमको बनाना हो तो सारी दुनिया में कहीं और हमें सीखने जाना पड़ता है। आज हमारे पास सिखाने योग्य कुछ भी नहीं बचा है। आज हम दुनिया को कुछ भी सीखा नहीं
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